वायरस क्यूलेक्स नाम के मच्छर के काटने से फैलता है। हालांकि वायरस का शुरुआती सोर्स वेस्ट नील पक्षी है। पक्षी से मच्छर और मच्छर से इंसान तक यह वायरस पहुंचता है। इंसानों को इससे बचाने के लिए कोई टीका नहीं है।
राष्ट्रीय मच्छर जनित बीमारी नियंत्रण कार्यक्रम के संयुक्त निदेशक डॉ. एस. सज्जन शेट्टी ने बताया कि मैसूरु, चामराजनगर, कोड़ुगू और दक्षिण जिले को एहतियातन हाई अलर्ट पर रखा गया है। लेकिन चिंता वाली बात नहीं है, क्योंकि इस वायरस से गंभीर परिस्थितियां पैदा होने की संभावना बेहद कम है।
गत वर्ष जनवरी में दक्षिण कन्नड़ जिले में वेस्ट नील वायरस के एक संदिग्ध मरीज की पुष्टि हुई थी। उचित उपचार के बाद मरीज ठीक हो गया था। चिकित्सकों का कहना है कि इस वायरस को लेकर विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है, क्योंकि ज्यादातर मामलों में कोई विशेष लक्षण नहीं दिखते हैं। सिर दर्द, बुखार, थकान, शरीर में दर्द, उल्टी, त्वचा पर लाल चकते और मांसपेशियों में कमजोरी इसके शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। गंभीर मामलों में गर्दन में अकडऩ, तेज बुखार, मानसिक असंतुलन और कोमा में जाने जैसी स्थिति पैदा हो सकती है। लेकिन १५० में से एक मरीज में ही इसकर संभावना
होता है।