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फिर से एक होंगे लिंगायत और वीरशैव संगठन

अलग लिंगायत धर्म के मसले पर आंदोलन तेज होने के बाद अलग-अलग राह अपनाने वाले लिंगायत और वीरशैव संगठन फिर से एकजुट होने की कोशिश में जुट गए हैं।

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फिर से एक होंगे लिंगायत और वीरशैव संगठन

फिर से एक होंगे लिंगायत और वीरशैव संगठन

बेंगलूरु. अलग लिंगायत धर्म के मसले पर आंदोलन तेज होने के बाद अलग-अलग राह अपनाने वाले लिंगायत और वीरशैव संगठन फिर से एकजुट होने की कोशिश में जुट गए हैं। करीब साल भर दोनों संगठनों ने एक साथ आने के लिए बातचीत शुरु की है। हालांकि, विश्व लिंगायत समुदाय ने अखिल भारतीय वीरशैव महासभा के साथ बातचीत के लिए तीन शर्तें रखी हैं।


लिंगायत समुदाय के नेता व पूर्व नौकरशाह एस एम जामदार ने कहा कि उनका संगठन महासभा के साथ वार्ता के लिए तैयार है बशर्ते वह तीन शर्तें माने। ये मांगें बातचीत के दौरान रखी जाएगी। जामदार ने कहा कि महासभा के नाम में लिंगायत जोडऩे के साथ ही जद-एस के विधान पार्षद बसवराज होरट्टी व कांग्रेस विधायक एम बी पाटिल को महासभा की पुनर्गठित कार्यकारिणी का सदस्य बनाए जाने की प्रस्ताव शामिल है। हालांकि, जामदार ने कहा कि यह पूर्व शर्त नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारी मांग है कि होरट्टी को प्रदेश अध्यक्ष और शामनूर शिवशंकरप्पा राष्ट्रीय अध्यक्ष बने रहें।


उधर, राज्य में लिंगायतों को धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा देने के प्रस्ताव को केंद्र सरकार द्वारा खारिज करने का अखिल भारतीय वीरशैव महासभा के अध्यक्ष एवं विधायक शामनूर शिवशंकरप्पा ने स्वागत किया है। उन्होंने रविवार को कहा कि केंद्र सरकार ने सही दिशा में निर्णय लिया है।

लिंगायत और वीरशैव दोनों ही एक हैं और दोनों को हाथ से हाथ जोडक़र आगे बढऩा चाहिए। अगर दोनों दो भागों में बंटते हैं तो वे अपनी मांगें पूरी नहीं करा पाएंगे। जामदार द्वारा लिंगायतों के अल्पसंख्यक अभियान को समर्थन के सवाल पर शिवशंकरप्पा ने कहा कि जामदार ने अपने समुदाय के कोई भी बढिय़ा काम नहीं किया लेकिन अब वे मुझे सुझाव दे रहे हैं, उन्हें ऐसा कहने का नैतिक अधिकार नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि मैं अखिल भारतीय वीरशैव महासभा और वैश्विक लिंगायत महासभा के बीच बातचीत का समर्थन करता हूं जो समाज के लिए बेहतर होगा। हम बातचीत के दौरान सभी मसलों पर बातचीत करेंगे।