नारायण हेल्थ सिटी के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. महेश कुमार ने बताया कि तीन माह से अस्थमा (Asthama) के गंभीर मरीजों की संख्या बढ़ी है। दूसरी लहर का प्रभाव कम होने के बाद इन्फ्लूएंजा सहित अन्य वायरस मजबूती से लौटे हैं। ठंडा मौसम और वायु प्रदूषण अस्थमा को ट्रिगर कर रहा है। कोविड से उबरे मरीजों की शारीरिक प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो चुकी है। वायरस आसानी से हमला कर रहा है। अस्थमा को पूरी तरह से ठीक नहीं बल्कि प्रबंधित किया जा सकता है। इसके लिए प्रदूषण कम करना होगा।
इन्फ्लूएंजा और न्यूमोकोकल वैक्सीन मददगार
एस्टर सीएमआइ अस्पताल के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. सुनिल कुमार के. ने बताया कि मानसून के पहले दिए गए इन्फ्लूएंजा और न्यूमोकोकल वैक्सीन (Influenza and pneumococcal vaccine) से अस्थमा को काफी हद तक बढऩे से रोका जा सकता है। अस्थमा के लक्षणों व इसे ट्रिगर करने वाले कारकों को पहचानना जरूरी है। मरीजों के लिए ट्रिगर भिन्न हो सकते हैं।
स्वस्थ लोगों को भी सावधानी बरतने की जरूरत
मणिपाल अस्पताल के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. सत्यनारायण मैसूरु ने बताया कि पार्थेनियम जैसे ज्ञात एलर्जी से बचना महत्वपूर्ण है। ठंडी हवा, संक्रमण और वायु प्रदूषण अस्थमा के मरीजों के लिए जोखिम कारक हैं। जिन्हें पहले से अस्थमा है उन्हें ठंडी हवा में व्यायाम या टहलने से बचना चाहिए। स्वस्थ लोगों को भी सावधानी बरतने की जरूरत है।
नहीं करें लक्षण बढऩे का इंतजार
मरीजों के लिए जरूरी है कि गर्म कपड़े पहने, धूम्रपान नहीं करें, दवाइयों का नियमित इस्तमाल करें और लक्षण बढऩे के संकेत मिलते ही अपने चिकित्सक से संपर्क करें। नियमित रूप से हाथ धोने, सामाजिक दूरी बरतने और मास्क लगा कई बीमारियों से बचा जा सकता है।