उन्होंने यहां कहा कि इस मामले को लेकर देश के किसी भी किसान के साथ बातचीत कर उसकी आशंकाएं दूर की जा सकती है लेकिन पूर्वाग्रहपीडि़त किसान नेताओं से बातचीत संभव नहीं है क्योंकि वे किसी राजनीतिक दलों की कार्यसूची के तहत कार्य कर रहे हैं। ऐसे नेताओं को समझाया नहीं जा सकता है।
उन्होंने कहा कि यह बदलाव लाने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नीति आयोग के सदस्य विभिन्न राज्यों के मख्यमंत्री तथा कई कृषिविदें के साथ विचार-विमर्श किया है। कृषि उपजों का विपणन अभी तक दलाल केंद्रित होने के कारण किसान तथा उपभोक्ता दोनों को नुकसान हो रहा है।
लेकिन आनेवाले 8-10 माह में इस बदलाव के आसार नजर आएंगे जब किसान को कृषि उपजों का अधिक मूल्य मिलना शुरू होगा तब इस संशोधन का विरोध करने वालों की पोल स्वयं खुल जाएगी। तब किसान ही स्वयं आगे आकर इस सकारात्मक बदलाव का तहे दिल से स्वागत करेंगे।इस अवसर पर जिला प्रभारी मंत्री एसटी सोमशेखर,सांसद प्रतापसिंहा, शहर भाजपा इकाई के अध्यक्ष श्रीवत्स उपस्थित थे।