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बैंगलोर

बाहुबली के जयकारों के बीच हुआ पहला अभिषेक

हल्दी, चंदन, केसर, नारियल पानी, दूध, इक्षुरस से अभिषेक के दौरान अलग-अलग रंगों में नजर आई प्रतिमा
दिखे आस्था और संस्कृति की भव्यता के रंग
 

बैंगलोरFeb 17, 2018 / 07:49 pm

कुमार जीवेन्द्र झा

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श्रवणबेलगोला (हासन). जैन काशी के नाम से विश्रुत इस प्राचीन और ऐतिहासिक नगरी में शनिवार को भगवान गोम्मटेश्वर बाहुबली की एकशिला से बनी हजार साल पुरानी प्रतिमा का पहला महामस्तकाभिषेक ‘बाहुबली की जयÓ के उद्घोष के बीच हुआ। बारह साल के अंतराल पर आयोजित जैन महाकुंभ में महामस्तकाभिषेक के पहले दिन आस्था और संस्कृति की भव्यता के रंग दिखे। देश के अलग-अलग राज्यों और दुनिया के अलग-अलग देशों से आए श्रद्धालु भक्ति संगीत और आसमान में गंूज रहे बाहुबली के जयकारों के साथ झूमते दिखे। नौ दिवसीय महामस्तकाभिषेक महोत्सव के दौरान 8172 कलशों से भगवान बाहुबली का अभिषेक होगा।
दुनिया में अखंड शिला से बनी भगवान बाहुबली की सबसे ऊंची (58.8 फीट) प्रतिमा अभिषेक के दौरान तरह-तरह के तरल पदार्थ, जल, रस अर्पित किए जाने के कारण अलग-अलग रंगों में दिखी। कलशधारी श्रद्धालुओं ने हल्दी, चंदन, केसर, नारियल पानी, दूध, इक्षुरस आदि से अभिषेक किया। मस्तकाभिषेक के लिए प्रतिमा के पिछले हिस्से में जर्मन तकनीक से विशाल मंच बनाया गया है। श्रवणबेलगोला मठ के प्रमुख स्वामी चारुकीर्ति भट्टारक और आचार्य वर्धमान सागर सहित सैंकड़ों मुनियों और संतों की उपस्थिति में पहले दिन भगवान बाहुबली का अभिषेक हुआ। सबसे पहले जलाभिषेक और उसके बाद पंचामृत अभिषेक हुआ।
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B V Vijay Kumar IMAGE CREDIT: B V Vijay Kumar
सीएम ने भी किया जलाभिषेक
पहले दिन अभिषेक में भाग लेने मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या भी पहुंचे। चिलचिलाती धूप में मुख्यमंत्री 640 सीढिय़ां चढ़कर विंध्यगिरी पर्वत पर स्थित तीर्थंकर आदिनाथ के पुत्र बाहुबली की प्रतिमा के पास पहुंचे और जलाभिषेक किया। उनके साथ कन्नड़ व संस्कृति मंत्री उमा श्री, जिला प्रभारी मंत्री ए. मंजु, श्रीक्षेत्रधर्मस्थला के प्रमुख डॉ. वीरेंद्र हेगड़े भी थे। मुख्यमंत्री और बाकी विशिष्ट अतिथियों के लिए प्रशासन की ओर सेडोली की व्यवस्था की गई थी, लेकिन सिद्धरामय्या ने डोली का उपयोग करने से मना कर दिया। बाकी मंत्री भी सीढिय़ां चढ़कर ही पहाड़ी पर पहुंचे।
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108 कलशों से हुआ पहले दिन अभिषेक
पहले दिन 108 कलशों से महामस्तकाभिषेक हुआ, जबकि बाकी 8 दिन 1008 कलशों से अभिषेक होगा। इससे पहले शनिवार सुबह विंध्यगिरी पर्वत पर स्थित प्रतिमा के पास पास विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान शुरू हुए। श्रवणबेलगोला मठ के प्रमुख चारुकीर्ति भट्टारक और आचार्य वर्धमान सागर ने पाटनी परिवार को पहला कलश सौंपा। दोपहर दो बजे के बाद शुरू हुए मस्तकाभिषेक के दौरान पहले डेढ़ घंटे में 108 कलशधारियों ने बाहुबली का जलाभिषेक किया। इसके बाद दोपहर 3.30 बजे से शाम 5.30 बजे तक पंचामृत अभिषेक हुआ और उसके बाद शाम 5.30 से 6 बजे के बीच अष्ट द्रव्य समर्पण, पूजा और महामंगल आरती हुई। शाम 6.30 बजे के बाद आम श्रद्धालु भगवान बाहुबली का दर्शन कर सके। आयोजन समिति के पदाधिकारियों के मुताबिक रविवार से 25 फरवरी तक महामस्तकाभिषेक अनुष्ठान सुबह 8 बजे शुरू होगा और सुबह 11 बजे तक पूरा हो जाएगा। दूसरे से आखिरी दिन तक 1008 कलशों से अभिषेक होगा। इन दिनों में दोपहर 2 बजे के बाद आम श्रद्धालु विंध्यगिरी पर्वत पर जा सकेंगे और रात 9.30 बजे पर्वत की ओर जाने वाला द्वार बंद कर दिया जाएगा। 25 फरवरी को आखिरी महामस्तकाभिषेक होगा और 26 फरवरी को समापन समारोह आयोजित होगा। 7 फरवरी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 20 दिवसीय महोत्सव का उद्घाटन किया था। 8 से 16 फरवरी तक पंचकल्याणक और अन्य धार्मिक आयोजन हुए।राजस्थान के पाटनी परिवार को मिला पहले कलश का लाभ
राजस्थान के किशनगढ़ आधारित आर. के. मार्बल्स के अशोक पाटनी और परिवार को भगवान बाहुबली को पहला कलश अर्पित करने का लाभ मिला। मठ सूत्रों के मुताबिक पाटनी परिवार ने 11.61 करोड़ रुपए का दान देकर पहले कलश का लाभ लिया। यह लगातार दूसरा मौका है जब पाटनी परिवार को पहले कलश का लाभ मिला। वर्ष 2006 में आयोजित पिछले महामस्तकाभिषेक में भी पाटनी परिवार ने 1.08 करोड़ रुपए का दान कर पहले कलश का लाभ लिया था। मठ सूत्रों के मुताबिक दूसरे कलश का लाभ कोलकाता के व्यापरी पंकज जैन और पारस जैन को मिला है। हालांकि, दूसरे कलश की लाभ राशि की जानकारी नहीं मिल पाई है। मठ सूत्रों का कहना है कि पाटनी परिवार की ओर से दान में दी गई राशि और बाकी कलशों के लिए दान से आने वाली राशि का उपयोग 200 बिस्तर वाले अस्पताल के निर्माण के लिए किया जाएगा। पिछले महामस्तकाभिषेक के दौरान कलशों से हुई आय का उपयोग बच्चों के अस्पताल निर्माण के लिए किया गया था।

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