scriptAn equanimous person is always happy: Sadhvi Dr. Pratibhashree | समभाव रखने वाला सदा सुखी: साध्वी डॉ प्रतिभाश्री | Patrika News

समभाव रखने वाला सदा सुखी: साध्वी डॉ प्रतिभाश्री

locationबैंगलोरPublished: Oct 15, 2023 02:18:25 pm

  • अक्कीपेट में प्रवचन

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बेंगलूरु. वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ, अक्कीपेट के तत्वावधान में अक्कीपेट स्थानक में साध्वी डॉ प्रतिभाश्री के सान्निध्य में पूच्छीसुणं 24वीं गाथा का संपृष्ट जाप किया गया।

गाथा का विवेचन करते हुए साध्वी प्रतिभाश्री ने कहा कि सुख दो प्रकार के होते हैं। पहला सांसारिक सुख । संसारी जीव शरीर, परिवार, पैसा संबंधों आदि में सुख मानते हैं पर ये सभी सुख अस्थाई हैं। सांसारिक सुख मन इंद्रियों से संबंधित होता है। दूसरा सुख है आध्यात्मिक सुख। सुख पुद्गलों में नहीं, आत्मा में है। आत्मा ही सत्य है। आत्मा से प्रकट होने वाला सुख आध्यात्मिक सुख है। सभी तरह कि परिस्थितियों में समभाव रखने वाला सदैव सुखी रहता है। समस्त धर्मो में निर्वाण श्रेष्ठ है। धर्म निर्वाण तक की यात्रा के लिए नौका स्वरूप है। धर्म आत्मा को मोक्ष तक लेकर जाता है। सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान, सम्यक चारित्र ये मोक्ष के मार्ग हैं।साध्वी प्रियांगीश्री ने चातुर्मास संबंधी सूचना दीं।
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