scriptकेंपेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे जाने को चाहिए एक और वैकल्पिक सडक़ | Another alternative road to go to Kempeguda International Airport | Patrika News

केंपेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे जाने को चाहिए एक और वैकल्पिक सडक़

locationबैंगलोरPublished: Jun 10, 2019 11:29:05 pm

शहर के अंतराष्ट्रीय हवाईअड्डे को लेकर यात्रियों की प्रमुख शिकायत इस तक पहुंचने वाले मार्ग पर लगने वाले जाम की रही है।

केंपेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे जाने को चाहिए एक और वैकल्पिक सडक़

केंपेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे जाने को चाहिए एक और वैकल्पिक सडक़

संजय कुलकर्णी
बेंगलूरु. शहर के अंतराष्ट्रीय हवाईअड्डे को लेकर यात्रियों की प्रमुख शिकायत इस तक पहुंचने वाले मार्ग पर लगने वाले जाम की रही है। हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि हवाईअड्डा से शहर पहुंचने के लिए कभी-कभी हवाई यात्रा से अधिक समय लग रहा है।


शहर से लगभग 30 किलोमीटर दूर स्थित हवाईअड्डा आने-जाने में अब दो घंटे से अधिक समय लग रहा है। हेब्बाल फ्लाईओवर तक पहुंचने के बाद तो इस मार्ग पर वाहनों की लंबी कतार लग जाती है। परिवहन विभाग के सूत्रों के मुताबिक प्रति घंटा 2900 वाहनों की क्षमता के इस फ्लाईओवर पर वर्तमान में प्रति घंटा औसतन 8 000 से अधिक वाहन गुजरते है। फ्लाइओवर पर वाहनों की कतारों में फंसने वाले यात्री गत कई वर्षों से शहर तथा हवाईअड्डे के बीच वैकल्पिक संपर्क मार्ग व्यवस्था की मांग करते रहे हैं।

इस समस्या के स्थायी समाधान के लिए आज तक कई योजनाओं की रूपरेखा तय की गई, लेकिन एक भी योजना को अमलीजामा नहीं पहनाया गया। हवाईअड्डे के लिए अभी तक विभिन्न सरकारों के कार्यकाल के दौरान हाईस्पीड रेल, मेट्रो रेल, कम्युटर रेल, मोनो रेल, स्टील ब्रिज के अलावा बाणसवाड़ी से केवल हवाईअड्डे के लिए विशेष संपर्क सडक़ जैसी कई योजनाएं बनाई गईं।

लेकिन इनमे से एक भी योजना अभी तक लागू नहीं हुई है। कोई भी योजना की घोषणा होते ही उसके खिलाफ लॉबिंग शुरू हो जाने से भी इस पर आगे बढऩा संभव नहीं हो पा रहा है। परिणामत: हवाईअड्डे की संपर्क सडक़ योजनाएं ठंडे बस्ते में हैं। इंफोसिस के संस्थापक अध्यक्ष एन. नारायणमूर्ति के अनुसार अंतराष्ट्रीय हवाईअड्डे की योजना गैर प्रबंधन की मिसाल है।


जब यह बन रहा था उस दौरान ही संपर्क सडक़ की योजना बनाई जाती, तो समस्या इनती विकराल नहीं होती। मगर प्रशासन ने इस पर ध्यान ही नहीं दिया। खैर जो भी हुआ है, आनेवाले समय में इस मामले को लेकर राज्य सरकार को गंभीर होना पड़ेगा।

छह योजनाएं बनीं, मगर क्रियान्वयन किसी का नहीं
हवाईअड्डे के लिए अभी तक छह योजनाएं घोषित की गईं, लेकिन यह सभी कागजों तक ही सिमटी रहीं। सबसे पहले मिंस्क चौराहे से केंपेगौड़ा अंतराष्ट्रीय हवाईअड्डा (केआइए) तक 6 900 करोड़ रुपए की लागत से ‘हाईस्पीड रेल’ योजना की विस्तृत रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की गई। उसके पश्चात केंद्र तथा राज्य सरकार की सगभागिता में ‘कम्युटर रेल’ योजना पर विचार हुआ, इसके अंतर्गत यशवंतपुर या बैयप्पनहल्ली रेलवे स्टेशन से केआइए तक विशेष रेल लाइन बननी थी। राज्य सरकार ने भूमि तथा अपने हिस्से के अनुदान के आवंटन की घोषणा कर दी। केंद्र सरकार से भी सैद्धांतिक मंजूरी मिली गई, मगर यह तार्किक अंत तक नहीं पहुंच सकी।

फिर मोनो रेल योजना की घोषणा की गई। जेपी नगर से हेब्बाल तक 34 किलोमीटर लंबी मोनो रेल शुरू करने पर प्रति किलोमीटर 110 से 140 करोड़ रुपए खर्च आंका गया, लेकिन उसके पश्चात इस योजना को लेकर भी बात आगे नहीं बढ़ सकी। वर्ष 2011 में बीबीएमपी ने बाणसवाड़ी से केंपेगौड़ा अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डा के लिए अलग संपर्क सडक़ योजना बनाने की घोषणा कर दी, लेकिन इस योजना को बेंगलूरु अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा लिमिटेड (बीआइएएल) की अनुमति नहीं मिली।

प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक अब लोक निर्माण विभाग की ओर से संपर्क सडक़ के निर्माण के प्रस्ताव पर मंथन चल रहा है। इस बीच शहर के हेब्बाल से केंपेगौडा अंतराष्ट्रीय हवाईअड्डे के लिए लगभग सात किलोमीटर लंबा स्टील ब्रिज बनाने की योजना भी बनी, लेकिन व्यापक विरोध के कारण क्रियान्वयन नहीं हो सका। नागवारा, हेब्बाल, जक्कूर कोगिलू चिक्कजाला मार्ग से हवाईअड्डा तक मेट्रो ट्रेन चलाने पर भी विचार-विमर्श जारी है।

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