scriptजीवन का शिखर है अष्ट प्रवचन माता | Ashta preaching is the pinnacle of life | Patrika News

जीवन का शिखर है अष्ट प्रवचन माता

locationबैंगलोरPublished: Oct 20, 2019 07:50:13 pm

Submitted by:

Yogesh Sharma

गणेश बाग में धर्मसभा

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प्रवीण ऋषि

बेंगलूरु. गणेश बाग में 21 दिवसीय श्रीमद उत्तराध्ययन श्रुतदेव की आराधना में उपाध्याय प्रवर प्रवीणऋषि ने कहा कि अष्ट प्रवचन माता में परमात्मा का समस्त श्रुत ज्ञान समाया हुआ है। उसकी आराधना करते हुए कहा कि एक मां मिलती है कर्म से लेकिन परमात्मा ने जो आठ माताएं दी है उन्हें हम स्वीकारे। एक माता आठ कर्मों में रुलाती है और ये आठ माताएं कर्मों के बंधनों से मुक्त कर देती हैं। यह आठ बातें (तीन गुप्ति और पांच समिति) परमात्मा ने हमें दी हैं- कैसे चलना व किसलिए चलना, कैसे बोलना-क्या बोलना, कैसे खाना-क्या खाना,किस प्रकार ग्रहण करना जैसे-वस्त्र, उपकरण साधन लेना, गंदगी को साफ करना अर्थात गंदगी से मुक्त होना, अपने मन वचन और काया को उस शिखर पर ले जाना कि मन में सोचे और काम हो जाए, वचन की उस शक्ति को जागृत करना कि वचन केवल भाषा का सत्य न रहकर जीवन का सत्य हो जाए। काया के अंदर छिपे हुए उस सामथ्र्य को जगाना कि जिस कार्य को उसने हाथ में लिया हुआ है वह को पूरा कर पाए। इसलिए इसे अष्ट प्रवचन माता कहा गया है। इन आठ बातों को सबको जीवन में धारण करना चाहिए चाहे वह जैन हो या न हो, चाहे वह प्रभु महावीर का भक्त हो या नही।
उपाध्याय प्रवर ने कहा कि बहुत बार सुना होगा कि मन में बहुत सामथ्र्य है कि मन में सोचा और कार्य होगा, जुबान से शब्द निकला और सत्य हो गया तथा काया से कार्य किया और पूर्ण हो गया। ये तब ही संभव हो पाता है जब आपने अपने मन वचन काया तीनों को साध लिया हो। आगमों में देवलोक के वैमानिक देवताओं का वर्णन करते हुए कहा गया कि जो देवता रिद्धि-सिद्धि संपन्न होते हैं देवलोक में रहते हुए किसी के विषय में मंगल चिंतन करें तो यहां मंगल हो जाता है। इसलिए इन आठ बातों का हर संत और इंसान को अनुसरण करना चाहिए।
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