कोरोना के सभी वैरिएंट पर प्रभावी
प्रयोग के दौरान वैज्ञानिकों ने पाया कि वायरस के जिस छोर को मोंटेकुलास्ट दवा बांध देती है वहां, वायरल प्रोटीन का म्यूटेशन दर अत्यंत कम हो जाता है। चूंकि, कोरोना वायरस के सभी वैरिएंट में ‘एनएसपी-1’ एक जैसा ही होता है और इसमें कोई बदलाव नहीं होता है इसलिए यह दवा वायरस के सभी वैरिएंट के खिलाफ समान रूप से प्रभावी होगी। हुसैन और उनकी टीम ने पहली बार कम्प्यूटेशनल मॉडलिंग का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर आंकड़े जुटाए जिससे दवा की दीर्घकालिक स्थिरता का सही आकलन हो सका।
प्रयोग के दौरान वैज्ञानिकों ने पाया कि वायरस के जिस छोर को मोंटेकुलास्ट दवा बांध देती है वहां, वायरल प्रोटीन का म्यूटेशन दर अत्यंत कम हो जाता है। चूंकि, कोरोना वायरस के सभी वैरिएंट में ‘एनएसपी-1’ एक जैसा ही होता है और इसमें कोई बदलाव नहीं होता है इसलिए यह दवा वायरस के सभी वैरिएंट के खिलाफ समान रूप से प्रभावी होगी। हुसैन और उनकी टीम ने पहली बार कम्प्यूटेशनल मॉडलिंग का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर आंकड़े जुटाए जिससे दवा की दीर्घकालिक स्थिरता का सही आकलन हो सका।
बेहद चुनौतीपूर्ण था शोध
अध्ययन में शामिल आइआइएससी के पूर्व वैज्ञानिक एवं ऑस्टिन स्थित टेक्सास यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मोहम्मद अफसर ने कहा कि कौन सी दवा मानव शरीर के भीतर काम करेगी इसका विश्लेषण करना और पता लगाना काफी चुनौतीपूर्ण था। उन्होंने कहा इसके दो पहलू हैं। पहला दवा का वायरल प्रोटीन के साथ मजबूती से बंधना और दूसरा लंबे समय तक बंधे रहना ताकि कोशिकाएं प्रभावित ना हों। एचआइवी रोधी दवा साक्विनावीर भी इस वायरल प्रोटीन से बंधती है लेकिन, लंबे समय तक स्थिर नहीं रहती। वहीं, मोंटेकुलास्ट एनएसपी-1 से दृढ़ता के साथ बंधकर लंबे समय तक स्थिर रहती है। इससेे कोशिकाएं प्रोटीन संश्लेषण का अपना सामान्य कार्य सही ढंग से कर पाईं।
अध्ययन में शामिल आइआइएससी के पूर्व वैज्ञानिक एवं ऑस्टिन स्थित टेक्सास यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मोहम्मद अफसर ने कहा कि कौन सी दवा मानव शरीर के भीतर काम करेगी इसका विश्लेषण करना और पता लगाना काफी चुनौतीपूर्ण था। उन्होंने कहा इसके दो पहलू हैं। पहला दवा का वायरल प्रोटीन के साथ मजबूती से बंधना और दूसरा लंबे समय तक बंधे रहना ताकि कोशिकाएं प्रभावित ना हों। एचआइवी रोधी दवा साक्विनावीर भी इस वायरल प्रोटीन से बंधती है लेकिन, लंबे समय तक स्थिर नहीं रहती। वहीं, मोंटेकुलास्ट एनएसपी-1 से दृढ़ता के साथ बंधकर लंबे समय तक स्थिर रहती है। इससेे कोशिकाएं प्रोटीन संश्लेषण का अपना सामान्य कार्य सही ढंग से कर पाईं।
दवा को और प्रभावकारी बनाने की योजना
तनवीर हुसैन की टीम ने संक्रामक रोग अनुसंधान केंद्र (सीआइडीआर) के सहायक प्रोफेसर शशांक त्रिपाठी के सहयोग से जैव-सुरक्षा लेवल-3 सुविधा युक्त सीआइडीआर में जीवित वायरस पर भी दवा के प्रभाव का परीक्षण किया और इसे कारगर पाया। हुसैन ने कहा कि यह दवा कोविड-19 संक्रमित रोगियों के अस्पताल में भर्ती होने की दर कम करने में सक्षम है। वैज्ञानिकों की योजना अब केमिस्टों के साथ मिलकर यह प्रयोग करने की है कि क्या इस दवा में कुछ संरचनागत बदलाव कर इसे सार्स-कोव-2 के खिलाफ और अधिक प्रभावकारी बनाया जा सकता है?
तनवीर हुसैन की टीम ने संक्रामक रोग अनुसंधान केंद्र (सीआइडीआर) के सहायक प्रोफेसर शशांक त्रिपाठी के सहयोग से जैव-सुरक्षा लेवल-3 सुविधा युक्त सीआइडीआर में जीवित वायरस पर भी दवा के प्रभाव का परीक्षण किया और इसे कारगर पाया। हुसैन ने कहा कि यह दवा कोविड-19 संक्रमित रोगियों के अस्पताल में भर्ती होने की दर कम करने में सक्षम है। वैज्ञानिकों की योजना अब केमिस्टों के साथ मिलकर यह प्रयोग करने की है कि क्या इस दवा में कुछ संरचनागत बदलाव कर इसे सार्स-कोव-2 के खिलाफ और अधिक प्रभावकारी बनाया जा सकता है?