अनुष्ठान करने से घर में परमाणु शुद्ध होते हैं-डॉ. पद्मकीर्ति
बैंगलोरPublished: Aug 07, 2020 10:08:27 am
मुनि सुव्रतस्वामी का अनुष्ठान
अनुष्ठान करने से घर में परमाणु शुद्ध होते हैं-डॉ. पद्मकीर्ति
बेंगलूरु. श्रीरंगपट्टनम के गुरु दिवाकर मिश्री राज दरबार में गुरुवार को मुनीसुव्रत स्वामी का अनुष्ठान साध्वी डॉ. कुमुदलता आदि ठाणा-4 के सान्निध्य में सोशल डिस्टेन्स के साथ हुआ। इस अवसर पर साध्वी डॉ. पदमकीर्ति ने कहा कि घर परिवार में अनुष्ठान करने से घर-परिवार के परमाणु शुद्ध होते हैं। आज कोरोना महामारी को देखते हुए मंदिर स्थानक, गुरुद्वारा मे जाकर परमात्मा की आराधना करने की बजाय घर ही मंदिर, स्थानक, गुरुद्वारा बन जाए तो जो मंदिर की ऊर्जा व धर्म की ऊर्जा से घर के परमाणु शुद्ध हो जाएंगे। आभा मंडल शुद्ध होगा कोई कोरोना का जीव आपके पास नहीं आएगा। इसलिए घर में अनुष्ठान कर सुख शांति को प्राप्त करते रहें। अनुष्ठान का लाभ चेन्नई के ज्ञानचंद बोकाडि़य़ा एवं मैसूरु के इन्दरचंद बम्ब ने लिया। साध्वी मंडल ने धर्म के मर्म को समझाते हुए कहा कि इंसान रूपी आत्मा अकेले आई है और अकेले ही जाएगी। जैसे कहते हैं कि आप अकेला अवतरे, मरे अकेला होय। यो कबहू या जीव को, साथी सगो न कोय। आत्मा की पृथकता या एकाकीपन का चिंतन करना, हम कभी एकांत में शांति में बैठकर सोचें तो इस भावना की यथार्थता हमें दिखेगी कि इस जगत में कोई किसी का साथी नहीं। हम अकेले आए हैं, और अकेले ही जाना है। यहां तक कि जिन स्वजनों को तू अपना अपना मानकर उनमे आसक्त हो रहा है, वह भी श्मशान से आगे नहीं आ पाएंगे। अपार पाप कर्म करके जो वैभव जो धन, जो ऐश्वर्य की सामग्री हमने जुटाई है, वह सभी यहीं रह जाना है। जब हम इस देह को छोडक़र जाएंगे तब इनमें से अंशमात्र भी हमारे साथ नहीं जाएगा। सब यहीं धरा रह जाएगा। हां, इसे प्राप्त करने के लिए जो कर्म बांधे हंै वे अवश्य साथ मे आएंगे। एक कवि कितनी सुंदर बात सरलता से हमें समझाते हैं कि जग में अकेला आया हूं औऱ यहां से अकेला जाऊंगा। कर्म शुभा शुभ संग में लेकर यथा स्थान को पाऊंगा। मेरा मेरा करके पचता, नहीं कोई जग में तेरा। देह छोडक़र उड़ेगा पंछी, भिन्न स्थान होगा डेरा। महा विडंबना है परिजन की, अंत साथ नहीं आते हैं। निर्भय होकर देखो प्राणी, मरण अकेले पाते हैं।