संयोगों में आसक्ति अज्ञानता की निशानी है-कपिल मुनि
बैंगलोरPublished: Oct 18, 2021 07:56:50 am
उत्तराध्ययन सूत्र का वांचन कार्यक्रम
संयोगों में आसक्ति अज्ञानता की निशानी है-कपिल मुनि
बेंगलूरु. श्रीरामपुरम स्थित जैन स्थानक में विराजित कपिल मुनि ने रविवार को आयोजित 21 दिवसीय श्रुतज्ञान गंगा महोत्सव में भगवान महावीर की अंतिम देशना उत्तराध्ययन सूत्र पर प्रवचन के दौरान कहा कि जब तक मन अहंकार से ग्रसित है तब तक परिवार, समाज में शांति का माहौल निर्मित करने की कल्पना निराधार है। मुनि ने कहा कि जहां संयोग है। वहां वियोग है। संसार के प्रत्येक संयोग के ललाट पर वियोग का तिलक लगा हुआ है। संयोग से तात्पर्य है मिला हुआ। मिला हुआ उसे ही कहते है जिसका एक न एक दिन छूटना तय है। संयोग से चिपककर तादात्म्य बना लेना अज्ञानता की निशानी है। विवेक का तकाजा यही है कि जिसे कुदरत छुड़ाए उसे स्वेच्छा से स्व विवेक के आधार पर परमार्थ के पथ पर अर्पण करके त्याग वीर, दानवीर बना जाए। जो मिलन में बिछुडऩा और सुख में दु:ख का दर्शन कर लेता है वही जीवन के सत्य को उपलब्ध कर लेता है। मुनि ने कहा कि तन, धन, परिजन महज एक संयोग हैं। हमें इस संसार में सबसे हिल मिल कर जीवन यात्रा को तय करना चाहिए। जीवन में समय, शक्ति, संपत्ति और सामथ्र्य की प्राप्ति पुण्य की प्रबलता से ही नसीब होती है और पुण्य अर्जन की शिक्षा संस्कार भगवान की वाणी से हमें मिले है अत: तेरा तुझको अर्पण की उक्ति को जीवन में आत्मसात करते हुए जन जन के दिलों में राज करना ही सफल जीवन है। इस संसार ने ऐसी एक भी चीज नहीं है जिस पर घमण्ड किया जाए। भगवान महावीर ने अपनी अंतिम देशना में सबसे पहले विनय श्रुत का प्रशिक्षण दिया। विनय का मतलब सिर्फ नमना और झुकना ही नहीं बल्कि हृदय में उठने वाली कोमल वृत्तियों का नाम विनय है। झुकना तो स्वार्थ सिध्द करने के लिए भी हो सकता है। विनय शब्द में जीवन के संपूर्ण शिष्टाचार का समावेश होता है। विनय एक ऐसा सद्गुण रूपी आभूषण है जिसको धारण करने से व्यक्तित्व में चमक और आकर्षण का जन्म होता है। विनय गुण से विभूषित व्यक्ति जन-जन के आदर सम्मान पात्र बन जाता है। एक आदरणीय और प्रशंसनीय जीवन जीने के कारण मन में शांति और समता का वास होता है। उसकी हर वृत्ति, प्रवृत्ति में सरलता और सहजता का दर्शन होता है। जिसका परिणाम भी अति सुंदर होता है। मुनि ने कहा कि यह विडम्बना है कि हम सहजता में जीना ही भूल गए जहां देखो वहीं पर दिखावट और सजावट का बोलबाला है परिणामस्वरूप जीवन के हरेक मोड़ पर गिरावट का सामना करना पड़ रहा है । जीवन में नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों की गिरावट सबसे बड़ा नुकसान है। जिसकी भरपाई करना बेहद मुश्किल काम होगा।धर्मसभा का संचालन संघ मंत्री बालूराम दलाल ने किया।