मानसिक एकाग्रता और संकल्प बल का जागरण जरूरी : मुनि सुधाकर
मुनि का प्रवास रामनगर में

बेंगलूरु. मुनि सुधाकर व मुनि नरेश कुमार विहार करते हुए बिड़दी पहुंचे जहां श्रद्धालुओं ने स्वागत किया।
मुनि ने कहा कि हर व्यक्ति में क्षमताओं और योग्यताओं का असीम भंडार है उन्हें पहचानना और जगाना जरूरी है। यदि कोई हमसे पूछे कि जीवन का सबसे अधिक मूल्यवान क्षण कौन सा है, तो बताना चाहिए अपनी क्षमताओं से परिचित होना और उनका अनुभव करना सबसे अधिक मूल्यवान क्षण है। आज मनोविज्ञान के क्षेत्र में चिंता और भय की ग्रंथि का विवेचन हो रहा है।
भारत के आध्यात्मिक दार्शनिकों और योगियों ने इनके संबंध में बहुत प्रकाश डाला है तथा उनसे मुक्त होने पर बल दिया है। विकास की दिशा में अग्रसर होने के लिए मानसिक एकाग्रता और संकल्प बल का जागरण जरूरी है। हमने जिस लक्ष्य का निर्धारण किया है, उस ओर जागरूकता तथा स्थिरता से आगे बढ़ते रहना चाहिए।
मुनि ने कहा कि भगवान महावीर ने अकाल मृत्यु के जो सात कारण बताए हैं, उनमें भावावेश की तीव्रता एक प्रमुख कारण है। भावावेश के कारण शरीर और मस्तिष्क में बहुत हानिकारक रसायन पैदा होते हैं। आज हर मनुष्य का जीवन व्यस्त है। सबके सामने नाना प्रकार की चुनौतियां हैं इस स्थिति में सहजता से जीने का अभ्यास जरूरी है। कर्तव्य का पालन करते हुए भी जो परिणाम सम्मुख आता है उसे प्रसन्नता से स्वीकार करना चाहिए।
इस अवसर पर तेरापंथ सभा राजाजी नगर मंत्री धर्मेन्द्र बरलोटा, महिला मंडल अध्यक्षा मंजु दक, हनुमंत नगर युवक परिषद अध्यक्ष पवन बोथरा, उपाध्यक्ष कमलेश झाबक, मंत्री धर्मेश कोठारी, परामर्शक प्रकाश बोल्या, राजेन्द्र बैद व अन्य श्रद्धालुओं की उपस्थिति रही।
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