बाबा रामदेव के जागरण में भजनों पर झूमे भक्त
मंडया. समस्त राजस्थानी विष्णु समाज की ओर से रूणेचा के बाबा रामदेव की जंयती पर बुधवार रात को मद्दूर तहसील स्थित आईमाता मंदिर में ‘एक शाम रूणेचा के बाबा रामदेव के नामÓ भजन जागरण का आयोजन किया गया। समाजजनों द्वारा बाबा रामदेव की तस्वीर पर पुष्पा हार चढाकर पूजा-अर्चना, आरती करने के बाद राधेश्याम व लाबुराम सोलंकी भजन मंडली ने धोली ध्वजा बाला बाबा थारो भालो पलके…, रूण जुण बाझे घुघुरा…., ‘बाबा निची रे थलवट उंचो थारो देवरो…..’, ‘खम्मा-खम्मा ओ म्हारे रूणेचा रा धणीया….’ आदि एक से बढ़कर एक भजनों की मधुर प्रस्तुतियां दे भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया। दूसरे दिन प्रात: 6.30 बजे आईमाता मंदिर से नरसीम स्वामी देवस्थान तक वरघोड़ा निकालकर मैसूरु के बाबा रामदेव मंदिर में बाबा को घोड़े चढवाए गए। जागरण में स्थानीय लोगों के आलावा आस-पास के गांवों से बड़ी संख्या में सभी समाज के लोग मौजूद रहे।
सुधर्मा स्वामी प्रौढ़ धार्मिक पाठशाला की स्थापना
मैसूरु. महावीर भवन में जैनाचार्य विजय रत्नसेन सूरीश्वर की निश्रा में आचार्य विजयहीर सूरीश्वर की पुण्यतिथि पर सुधर्मा स्वामी प्रौढ़ धार्मिक पाठशाला स्थापित हुई। सुमतिनाथ जैन संघ के अध्यक्ष अशोक दांतेवाडिय़ा ने दीप प्रज्वलित किया। आचार्य ने कहा कि जगत में जो कुछ भी दुख है, वह सब पाप को परिणाम है। यदि जगत से पाप दूर हो जाए, तो इस जगत में कोई भी दुखी नहीं होगा। पाप प्रवृत्ति के कारण जीवन में दुख की परंपरा भी बनी है।
मैसूरु. महावीर भवन में जैनाचार्य विजय रत्नसेन सूरीश्वर की निश्रा में आचार्य विजयहीर सूरीश्वर की पुण्यतिथि पर सुधर्मा स्वामी प्रौढ़ धार्मिक पाठशाला स्थापित हुई। सुमतिनाथ जैन संघ के अध्यक्ष अशोक दांतेवाडिय़ा ने दीप प्रज्वलित किया। आचार्य ने कहा कि जगत में जो कुछ भी दुख है, वह सब पाप को परिणाम है। यदि जगत से पाप दूर हो जाए, तो इस जगत में कोई भी दुखी नहीं होगा। पाप प्रवृत्ति के कारण जीवन में दुख की परंपरा भी बनी है।