बैंगलोर

आध्यात्मिक विकास से ही जीवन में आएगा संतुलन

तेरापंथ सभा, यशवंतपुर के तत्वावधान में मुनि रणजीत कुमार व मुनि रमेश कुमार के सान्निध्य में तेरापंथ भवन में मंगलवार को तेरापंथ धर्मसंघ का २५वां विकास महोत्सव आयोजित किया गया।

बैंगलोरSep 19, 2018 / 04:18 am

शंकर शर्मा

आध्यात्मिक विकास से ही जीवन में आएगा संतुलन

बेंगलूरु. तेरापंथ सभा, यशवंतपुर के तत्वावधान में मुनि रणजीत कुमार व मुनि रमेश कुमार के सान्निध्य में तेरापंथ भवन में मंगलवार को तेरापंथ धर्मसंघ का २५वां विकास महोत्सव आयोजित किया गया।


नमस्कार महामंत्रोच्चार से शुरू कार्यक्रम में मुनि रणजीत कुमार ने कहा कि तेरापंथ धर्म संघ के ९वें पट्टधर आचार्य तुलसी दूरदृष्टा आचार्य थे। युगधारा को पहचानकर उन्होंने उसे मोडऩे का सफलतम प्रयास किया।


सर्वभौम धर्म की स्थापना के लिए, मानवमात्र के कल्याण के लिए, अणुव्रत प्रेक्षाध्यान जीवन विज्ञान, रूढिय़ों के उन्मूलन, नारी जागृति आदि अनेक क्षेत्रों में कार्य किया। वे धर्म सम्प्रदाय की संकीर्णता में उलझे नहीं। उदारवादी धर्माचार्य थे। मुनि रमेश कुमार ने कहा कि भौतिक जगत में सीमातीत विकास हो रहा है।


समग्र जीवन विकास के साथ-साथ आध्यात्मिक विकास की भी बहुत जरूरत है, तभी जीवन में संतुलन रह सकता है। महिला मंडल की बहनों ने मंगलाचरण किया। सभा के अध्यक्ष प्रकाश बाबेल, सुरेश महनोत, मंत्री मीनाक्षी दक, प्रीति गादिया ने विचार व्यक्त किए। गगन बरडिय़ा, सुरेश कोठारी ने गीत प्रस्तुत किए।

संघर्षों में हिमालय की तरह अटल थे आचार्य तुलसी
बेंगलूरु. तेरापंथ सभा, गांधीनगर में साध्वी कंचनप्रभा, साध्वी मंजूरेखा के सान्निध्य में २५वां विकास महोत्सव आयोजित किया गया। साध्वी द्वारा महामंत्र उच्चारण के बाद महिला मंडल की बहनों के मंगलाचरण से शुरू धर्मसभा में साध्वी कंचनप्रभा ने कहा कि तेरापंथ धर्म के नवमाधिशास्ता आचार्य तुलसी ने धर्म संघ, जैन शासन तथा सम्पूर्ण मानव जाति के विकास व कल्याण के लिए अनेक विशिष्ट अवदान दिए। आचार्य तुलसी संघर्षों में हिमालय की तरह अटल थे। उन्होंने अपने 58 वर्षीय शासन काल में जो स्वर्णिम कीर्तिमान रचा, प्रेरणाएं दीं वे सभी आज भी सुसंचालित हंै।


साध्वी मंजूरेखा ने प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि आचार्य तुलसी ने समणी दीक्षा प्रदान कर भगवान महावीर की वाणी विदेश धरा पर पहुंचाई। साध्वी मंजूरेखा, साध्वी उदितप्रभा, निर्भयप्रभा व चेलनाश्री ने गीत से श्रद्धांजलि समर्पित की। सभा उपाध्यक्ष दीपचंद नाहर ने स्वागत किया। तेयुप व प्रेक्षा संगीत सुधा ने श्रद्धा गीत पेश किया। अणुव्रत समिति के अध्यक्ष कन्हैयालाल चिप्पड़, उपासक महेन्द्र दक, उपासिका शान्ति संकलेचा, चुन्नीलाल घोषल ने भी विचार
व्यक्त किए।

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