मुख्य न्यायाधीश ऋतुराज अवस्थी, जस्टिस कृष्णा एस. दीक्षित और जस्टिस जेएम काजी की पीठ ने याचिकाकर्ताओं के वकील यूसुफ एम की दलीलें भी सुनीं। इस दौरान मामले में हस्तक्षेप के लिए दाखिल आवेदनों को अदालत ने सुनने से इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश अवस्थी ने कहा कि हस्तक्षेप आवेदनों पर विचार करने से अदालत का समय बर्बाद होगा। यदि पीठ को आवश्यकता महसूस होती है तो हस्तक्षेप करने वालों को बाद में सुना जा सकता है।
कुमार ने अपनी दलील में कहा कि कर्नाटक शिक्षा अधिनियम और उसके तहत बनाए गए नियमों द्वारा प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेजों के लिए कोई अनिवार्य यूनिफॉर्म निर्धारित नहीं है। ना तो अधिनियम के प्रावधान और ना ही नियम कोई यूनिफॉर्म निर्धारित करते हैं।
नियम स्पष्ट नहीं तो क्या कुछ भी करेंगे
जस्टिस दीक्षित ने पूछा कि अगर नियमों में स्पष्ट रूप से कुछ निषिद्ध नहीं है तो क्या इसका मतलब यह है कि इसकी अनुमति है? जस्टिस दीक्षित ने पूछा कि यदि इस दृष्टिकोण को लिया जाए तो कोई कह सकता है कि कक्षा में हथियार ले जाने के लिए किसी लाइसेंस की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि, कोई निषेध नहीं है। वे तार्किक रूप से विश्लेषण कर रहे हैं कि यह प्रस्ताव हमें कहां ले जा सकता है? कुमार ने कहा कि उन्होंने जो प्रस्ताव रखा है उसका विस्तार नहीं कर रहे हैं। वे केवल इतना कह रहे हैं कि हिजाब के खिलाफ कोई प्रतिबंध नहीं है।
सीडीसी के पास पुलिसिंग अधिकार नहीं
कुमार ने शैक्षणिक मानकों का यूनिफॉर्म से कोई संबंध नहीं है। कॉलेज विकास समिति (सीडीसी) के पास छात्रों पर पुलिसिंग के अधिकार नहीं हो सकते हैं। अगर हिजाब पर प्रतिबंध लगाना था तो नोटिस एक साल पहले दिया जाना चाहिए था। विवादित शासनादेश किसी अन्य धार्मिक प्रतीक पर विचार नहीं करता है। सिर्फ हिजाब ही क्यों? क्या यह उनके धर्म के कारण नहीं है?
सरकारी आदेश भेदभावपूर्ण
उन्होंने कहा कि मुस्लिम लड़कियों के साथ भेदभाव विशुद्ध रूप से उनके धर्म पर आधारित है। इसलिए यह एक शत्रुतापूर्ण भेदभाव है और संविधान के अनुच्छेद 15 का उल्लंघन है। चूडिय़ां पहनी जाती हैं? क्या वे धार्मिक प्रतीक नहीं हैं? बिंदी या चूड़ी अथवा क्रॉस पहनने वाली ईसाई लड़की को बाहर नहीं भेजा जाता है। यह संविधान के अनुच्छेद 15 का उल्लंघन है। कुमार ने कहा कि अगर पगड़ी पहनने वाले लोग सेना में हो सकते हैं, तो धार्मिक चिन्ह वाले व्यक्ति को कक्षाओं में जाने की अनुमति क्यों नहीं दी जाती।