रैंकिंग के साल दर साल अनुपात के अनुसार जहां मुंबई ने पिछले साल की तुलना में इस साल 14 पायदान की छलांग लगाई है वहीं दिल्ली की रैंकिंग में छह स्थानों की गिरावट आई है। दक्षिण में बेंगलूरु के अतिरिक्त चेन्नई की रैंकिंग में सुधार हुआ है और पिछले वर्ष की तुलना में इस बार चेन्नई ने दो स्थानों की बढ़त बनाई है।
बेंगलूरु की रैंकिंग में सुधार और देश में पहले पायदान पर आने को लेकर विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय विज्ञान संस्थान और भारतीय प्रबंधन संस्थान-बैंगलोर जैसे विश्व स्तर के शिक्षण संस्थानों की बेंगलूरु में उपस्थिति इसका प्रमुख कारण है। साथ ही आदर्श शैक्षणिक परिवेश वाले कई विश्वविद्यालयों ने अपनी विशेष पहचान बनाई है, जिससे पूरे देश के विद्यार्थी पढ़ाई के लिए बेंगलूरु को मुकाम बना रहे हैं।
ऐसे तय होती है रैंकिंग
क्यूएस द्वारा संकलित क्यूएस बेस्ट स्टूडेंट सिटीज रैंकिंग का यह छठा संस्करण रहा। रैंकिंग निर्धारित करने के दौरान शहरों को उनके विश्वविद्यालयों की संख्या और प्रदर्शन के अनुसार रैंक किया गया था। इसमें शहर में किस अनुपात में नियोक्ता वहां सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं, शहर की सामथ्र्य, शहर की वांछनीयता और जीवन गुणवत्ता सहित उस शहर के छात्र निकाय की विविधता का आकलन शामिल होता है। इन आधार पर बेंगलूरु को सबसे बेहतर विद्यार्थी हितैषी शहर के रूप में देखा गया।
London दुनिया में अव्वल
क्यूएस के अनुसार लंदन में दुनिया के शीर्ष विश्वविद्यालयों की अधिक संख्या में मौजूदगी, नियोक्ता गतिविधियों का शीर्ष स्थान, छात्र विविधता एवं वैश्विक छात्र निकाय का उच्च स्तर होने के कारण लंदन दुनिया का अग्रणी स्टूडेंट सिटी बना हुआ है। वैश्विक रैंकिंग में लंदन के बाद दूसरे स्थान पर TOkyo और तीसरे पायदान पर melbourn है।