scriptबेंगलूरु की झीलों में अब न लगेगी आग और उठेगा जहरीला झाग | Bangalore's lakes will no longer fire and poisonous foam will rise | Patrika News

बेंगलूरु की झीलों में अब न लगेगी आग और उठेगा जहरीला झाग

locationबैंगलोरPublished: Jan 05, 2020 01:04:36 am

Submitted by:

Priyadarshan Sharma

झील के कायाकल्प के लिए निविदा प्रक्रिया शुरू

बेंगलूरु की झीलों में अब न लगेगी आग और उठेगा जहरीला झाग

बेंगलूरु की झीलों में अब न लगेगी आग और उठेगा जहरीला झाग

बेंगलूरु. प्रदूषण से बेहाल जल निकायों बेलंदूर और वर्तूर झीलों का कायाकल्प करने में विफल रहने पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) से कड़ी फटकार लगने के बाद, बेंगलूरु विकास प्राधिकरण (बीडीए) ने अंतत: 250 करोड़ रुपये की अनुमानित परियोजना लागत के साथ बेलंदूर झील के कायाकल्प और विकास के लिए निविदा मंगाई है। इसी प्रकार वर्तूर झील के लिए अगले सप्ताह 150 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत वाली निविदा आमंत्रित की जा सकती है।
बीडीए आयुक्त जीसी प्रकाश के अनुसार दोनों झीलों की गाद मुक्ति एवं कायाकल्प में एक वर्ष का समय लगेगा। बीडीए ने झीलों की गादमुक्ति सहित अन्य कायाकल्प संबंधी कार्यों के लिए निविदा आमंत्रित की है। साथ ही झील में नालियों से सीवेज का पानी न जाए इसके लिए पहले ही उपाय किए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि एक अनुमान के मुताबित झील के तल में करीब ५० लाख वर्ग मीटर गाद है जिसे हटाना होगा। गाद हटने के बाद ही झील की जल भंडारण क्षमता बढ़ेगी और झील का वास्तविक स्वरूप निखरेगा। बीबीएमपी ने बेलंदूर झील से निकाले गए गाद को डंप करने के लिए पांच खदानों की पहचान की है। वहीं, वर्तूर झील में करीब 35 लाख घन मीटर गाद है।
झील उन्नयन कार्यों के तहत झील तटबंध को मजबूत करना और जल भंडारण को बहुपयोगी बनाना शामिल होगा। सौंदर्यीकरण कार्यों के तहत झीलों के किनारे पार्कों का विकास, राहगीरों के भ्रमण के लिए वॉकवे और अन्य प्रकार के सौंदर्यीकरण कार्य शामिल रहेंगे। झील में भविष्य में प्रदूषण न हो इसके लिए भी दीर्घकालिक स्वच्छता नीति अपनाई जाएगी। विशेषकर एक बार झील कायाकल्प हो जाने पर नियमित रूप से इसकी देखरेख सुनिश्चित करने पर जोर होगा।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा बेलंदूर झील के कायाकल्प के लिए गठित एक समिति की अध्यक्षता कर रहे पूर्व लोकायुक्त एन संतोष हेगड़े ने कहा कि हमारी समिति ने एनजीटी को झील के कायाकल्प पर कई सिफारिशें की हैं। इसमें झील क्षेत्र की बाड़ लगाने, अतिक्रमण मुक्ति, बाहरी साफ करना जैसे कार्यों को मार्च के अंत तक तक पूरा करने की समय सीमा निर्धारित की गई है।
झील में लगती है आग और उठती है जहरीली झाग
बेलंदूर झील का प्रदूषण देश के अन्य जल निकायों के प्रदूषण से बेहद भिन्न रहा है। पिछले वर्षों के दौरान बेलंदूर झील में कई बार जहरीली झाग उठ चुकी है। इसी प्रकार रासायनिक कारणों से झील के पानी में कई बार आग लग चुकी है। प्रदूषण की इस गंभीर स्थिति के कारण ही एनजीटी ने स्वसंज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को बेलंदूर और वर्तुर झील के कायाकल्प पर गंभीरता से ध्यान देने कहा था। हालांकि एनजीटी के कई आदेशों के बाद भी जब प्रदूषण दूर नहीं हुआ तब पिछले दिनों एनजीटी ने राज्य सरकार को दोनों झीलों के संरक्षण के लिए एक विशेष खाते में ५०० करोड़ रुपए जमा कराने और एनजीटी के निर्देशों का पालन नहीं करने के कारण ७५ करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था।
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