बैंगलोर

‘बरगद के वृक्ष ने कहा जिंदा हूं मैं’

जाको राखे साइयां मार सके न कोय। किसी ने इस वृक्ष को काटा और लकडिय़ां साथ ले गए, जड़ सहित वृक्ष के तने का एक हिस्सा सड़क किनारे छोड़ दिया। काटे जाने के दो माह बाद भी वृक्ष सांसें लेता रहा। इसके तने से छोटी-छोटी शाखाएं और उनमें कोंपल फूटती रहीं। जैसे यह वृक्ष अपने जिंदा होने का सबूत दे रहा हो।

बैंगलोरNov 12, 2019 / 08:06 pm

Nikhil Kumar

‘बरगद के वृक्ष ने कहा जिंदा हूं मैं’

-काट कर सड़क किनारे छोड़े गए पेड़ को लोगों ने बचाया
-40 वर्ष पुराना है वृक्ष

शिवमोग्गा.

जाको राखे साइयां मार सके न कोय। यह कहावत आपने आम तौर पर इंसानों के संदर्भ में सुनी होगी, लेकिन अब एक वृक्ष पर भी यह चरितार्थ हो रही है। करीब 40 साल पुराना यह वृक्ष बरगद (Banyan Tree) का है।

किसी ने इस वृक्ष को काटा और लकडिय़ां साथ ले गए, जड़ सहित वृक्ष के तने का एक हिस्सा सड़क किनारे छोड़ दिया। काटे जाने के दो माह बाद भी वृक्ष सांसें लेता रहा। इसके तने से छोटी-छोटी शाखाएं और उनमें कोंपल फूटती रहीं। जैसे यह वृक्ष अपने जिंदा होने का सबूत दे रहा हो।

शिवमोग्गा पर्यावरण समूह के सदस्यों और स्थानीय लोगों की इस पर नजर पड़ी तो सभी ने इसे बचाने की ठानी। पर्यावरण समूह के अध्यक्ष नंदन ने बताया कि लोगों ने वन विभाग की मदद से सोमवार को तने को दूसरे स्थान पर स्थानांतरित किया और फिर से लगाया। अब स्थानीय लोग इसकी देखभाल करेंगे, यह घटना शिवमोग्गा की है। जड़ सहित 15 फीट लंबे तने को स्थानांतरित करना आसान नहीं था। वन विभाग और नगर निगम ने सहयोग किया। crane , अर्थ मूवर (Earth Mover) और लॉरी (Lorry) की मदद से तने को शिवमोग्गा (Shivamogga) शहर के बाहर रागीगुड्डा में लगाया गया।

स्थानीय निवासी बालकृष्ण ने बताया कि जिला पंचायत कार्यालय के समीप नंजप्पा अस्पताल के पास यह वृक्ष करीब 40 वर्षों से छाया दे रहा था। पेड़ को किसी भी हाल में बचाना जरूरी था, जिन लोगों ने इसे काटा वे इसे पूरी तरह से अपने साथ नहीं ले जा सके। जड़ के ऊपरी हिस्से को सड़क पर ही छोड़ दिया। प्रशासन को चाहिए कि पेड़ को काटने वालों का पता लगा कर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करे।

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