दो साल पहले जेपी नगर में पुरानी इमारत के गिरने के बाद पालिका ने शहर में इस तरह का सर्वे कराया था। तब करीब 200 पुराने और जर्जर भवनों की पहचान की गई थी। कुछ भवनों को नोटिस जारी करने और चंद भवनों को ढहाने के अलावा कोई कार्रवाई नहीं हो पाई। पालिका के वरिष्ठ अधिकारी भी मानते हैं कि रिपोर्ट पर ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई। पालिका के मुख्य आयुक्त गौरव गुप्ता ने अधिकारियों को पिछले सर्वे में चिह्नित मकानों की मौजूदा स्थिति को लेकर रिपोर्ट देने के लिए कहा है। गुप्ता ने कहा कि ताजा घटनाओं के बाद नए सिरे से सर्वे जरूरी है और ऐसे मामलों में कार्रवाई की जाएगी।
185 में से सिर्फ 10 मकानों को ढहाया
गुप्ता ने कहा कि वर्ष 2019 के सर्वे में शहर में 185 जीर्ण-शीर्ण भवनों को चिह्नित किया गया था जिसमें से 10 को ढहाया जा चुका है। गुप्ता ने सभी जोनल आयुक्तों और संयुक्त आयुक्तों को बाकी 175 जर्जर भवनों के मालिकों को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए। आंकड़ों के मुताबिक पालिका के आठ जोनों में से सिर्फ तीन में ही मकानों को ढहाने की कार्रवाई हुई। सर्वाधिक जर्जर मकानों वाले यलहंका जोन में एक भी मकान नहीं ढहाए गए।
दिशा-निर्देश: 15 दिनों में मांगी रिपोर्ट
गुप्ता ने जोनल आयुक्तों और मुख्य अभियंताओं को हर जोन में जर्जर भवनों के सर्वे के लिए परियोजना विभाग के संयुक्त आयुक्त के नेतृत्व में समिति गठित करने और 15 दिनों के अंदर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए। सर्वे टीम की रिपोर्ट के आधार पर जर्जर मकानों को ढहाने के लिए कार्रवाई की जाएगी। गुप्ता ने अधिकारियों के साथ वुर्चअल बैठक में 2019 के सर्वे और उसके आधार पर जारी नोटिस और ढहाए मकानों के बारे में जानकारी ली। गुप्ता ने सभी जोनों के मुख्य अभियंताओं को चिह्नित जर्जर भवनों का फिर से निरीक्षण करने और रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए। उन्होंने पुनर्निरीक्षण के 15 दिन के अंदर दिन में जर्जर मकानों को ढहाने के लिए ठेकेदारों का चयन करने के लिए भी कहा।