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बेलंदूर झील को पुनर्जीवित करने के प्रयास में बीडीए

locationबैंगलोरPublished: Oct 15, 2018 07:30:57 pm

Submitted by:

Sanjay Kumar Kareer

बीआइएएल और सीआइआइ के साथ मिलकर झीलों को जीवंत करने की तैयारी

Bailendoor Lake

बेलंदूर झील को पुनर्जीवित करने के प्रयास में बीडीए

बेंगलूरु. बेंगलूरु विकास प्राधिकरण (बीडीए) आयुक्त राकेश सिंह ने कहा है कि बेलंदूर झील और अन्य झीलों को फिर से जीवंत और पुनर्जीवित करने के एक और प्रयास के तहत बीडीए एक शासकीय संरचना और दीर्घकालिक रूपरेखा बनाने की योजना पर काम कर रहा है।
रविवार को राकेश सिंह ने बेंगलूरु अंतररारष्ट्रीय हवाई अड्डा लिमिटेड (बीआइएएल) के एमडी एवं सीइओ हरि. के मरार और भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआइआइ) के कर्नाटक प्रमुख नील क्रेस्ट्रिनो के साथ मिलकर बेलंरूदर झील का निरीक्षण किया। इस दौरे का मकसद सामुदायिक भागीदारी कार्यक्रम के तहत बीडीए के अधीन आने वाले बेलंदूर झील एवं अन्य झीलों को पुनर्जीवित करने एवं रखरखाव को सुदृढ करना था।
सिंह ने कहा कि यह योजना फिलाहल प्लानिंग चरण में है। आने वाले दिनों में इसकी बेहतर रूपरेखा तय की जाएगी और एक कार्ययोजना बनाकर इस पर सामूहिक रूप से काम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बीडीए के पास फंड की कमी नहीं है बल्कि लोगों के साथ आने की परेशानी है। बीआइएएल और सीआइआइ जैसी संस्थाओं के साथ आने की पहल करने से इस दिशा में बड़ा सहयेाग मिलेगा।
उन्होंने इस दौरे के दौरान बेलंदूर के अतिरिक्त वरतूर झील का भी निरीक्षण किया। उन्होंने झील क्षेत्रों के किनारे वाली भूमि के बेहतर रखरखाव पर चर्चा की। बीडीए और अन्य अधिकारी बेलंदूर और वरतूर झीलों पर राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) के फैसले का इंतजार कर रहे हैं ताकि वे अधिक विकास कार्यों को अंजाम दे सकें।
33 माह में मरे 45 बाघ, इस वर्ष 11 की मौत

बेंगलूरु. बाघ संरक्षण के तमाम प्रयासों के बीच प्रदेश में 45 बाघों की मौत हो गई। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के आंकड़े बताते हैं कि सभी बाघ वर्ष 2016 से सितम्बर 2018 के बीच मरे। वर्ष 2016 में 17, वर्ष 2017 में 17 और इस वर्ष अब तक 11 बाघों की मौत हुई है। वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार दक्षिण के जंगलों में बाघों की आबादी बढऩे के साथ मौतों का सिलसिला भी बढ़ा है। 10 फीसदी मामलों में ही आपसी लड़ाई या प्राकृतिक कारणों से मौत होती है।
तस्करों व सिकुड़ते जंगलों के कारण बाघों के सामने अपना अस्तित्व बचाने की चुनौती बनी हुई है। बाघ संरक्षण अभियान को सबसे ज्यादा खतरा तस्करों से है। नागरहोले और बंडीपुर टाइगर रिजर्व करीब 220 बाघों का घर है। 100 वर्ग किलोमीटर में 10-15 बाघ रहते हैं। जो जरूरत से ज्यादा है। बाघों के मरने का यह भी एक कारण है।
बाघ गणना 2014 के अनुसार कर्नाटक में कुल 406 बाघ हैं। उत्तराखंड में 340 बाघ, मध्य प्रदेश में 308 और तमिलनाडु में 229 बाघ हैं। कर्नाटक सहित किस प्रदेश में बाघों की संख्या घटी-बढ़ी है इसका पता बाघ गणना -2018 रिपोर्ट में चलेगा।
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