इसरो ने कहा है कि पृथ्वी की निचली कक्षा में कम से कम 10 प्रयोग किए जाएंगे। ये प्रयोग मुख्य मिशन के लिए बेहद आवश्यक हैं। मानव मिशन के तहत अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी से 300 से 400 किमी दूर निचली कक्षा में भेजा जाएगा।
इसके लिए जो प्रयोग किए जाएंगे उनमें शामिल हैं चिकित्सा उपकरणों की जांच अथवा सूक्ष्म जैविक प्रयोग। जैसे जैविक वायु फिल्टर या बायोसेंसर, लाइफ सपोर्ट सिस्टम और जैव चिकित्सा अपशिष्टों का प्रबंंधन आदि का परीक्षण।
इसके अलावा खगोल जीव विज्ञान एवं रसायन, स्पेस मेडिसिन, अंतरिक्ष खतरों की भविष्यवाणी और मॉडलिंग, सेंसर विकास, सूक्ष्म जीव विज्ञान प्रयोग, अंतरिक्ष के वातावरण में जीवन विज्ञान, लाइफ सपोर्ट सिस्टम, अंतरिक्ष में जैव-कचरा प्रबंधन, पदार्थ विज्ञान, द्रव एवं सामग्री तथा अंतरिक्ष से धरती के बीच संचार कायम करने की तकनीक आदि।
इन परीक्षणों से प्राप्त आंकड़े गगनयान में अंतरिक्षयात्रियों के लिए जीवन रक्षक प्रणाली तैयार करने में काफी कारगर साबित होंगे। हालांकि, पृथ्वी की निचली कक्षा में काफी शोध हुए हैं। लेकिन, इसरो उन अनुसंधानों को आगे बढ़ाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी साल स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर वर्ष 2022 तक भारतीय अंतरिक्षयात्रियों को भेजनेे की घोषणा की थी।
इस परियोजना पर लगभग 10 हजार करोड़ रुपए की लागत आने की उम्मीद है जो इसरो का अभी तक का सबसे बड़ा मिशन है। इसरो अधिकारियों के मुताबिक हालांकि, अभी 10 प्रयोगों की ही सूची तैयार है लेकिन यह संख्या इससे ज्यादा भी हो सकती है।
यह प्रयोग वर्तमान में उपलब्ध शोध परिणामों को आगे बढ़ाएगा जिसमें देश के शीर्ष संस्थानों भी शामिल होंगे। इसरो अधिकारियों के मुताबिक 10 प्रयोग सुझाए गए हैं लेकिन, जरूरी नहीं है कि ये सिर्फ इतने तक ही सीमित रहेंगे।
इसरो ने इन प्रयोगों में शिक्षण संस्थाओं सहित वैज्ञानिक समुदाय को शामिल होने के लिए आधिकारिक तौर पर अवसर की घोषणा की है। इसरो ने कहा कि ये सूक्ष्म गुरुत्वीय (माइक्रोगे्रविटी) वैज्ञानिक प्रयोग रिमोट से किए जाएंगे और जिसे जरूरत पडऩे पर जमीन से नियंत्रित किया जाएगा।