आचार्य ने कहा कि दीपावली भगवान महावीर का परिनिर्वाण दिवस है। दीपावली उल्लास में निमित्त बनती है पर वह दो-तीन दिन का होता है। क्या हमारा आनंद दीपावली के साथ ही चला जाएगा। वह आनंद अपना कैसे हो सकता है। हमारा आनंद हमारे हाथ में रहे वह सहजानंद है। स्वस्थ बनें परवाश नहीं। जीवन में जितना औचित्य हो सके स्वावलंबी रहे एक दृष्टांत से समझाते हुए कहा कि परालम्बिता से बचने का प्रयास करें। हम पर आनंद को आदत वाले ना बने सहजानंद अनुभूति करने का करने वाला बनें। आचार्य महाप्रज्ञ जन्म शताब्दी वर्ष पर ज्ञान चेतना का विकास हो ज्ञान स्वाध्याय आदि से संयम में विश्वास जागे ऐसा प्रयास करें। कार्यक्रम का संचालन करते हुए मुनि दिनेश कुमार ने समझाया कि मोक्ष जाने के लिए मार्ग के कांटो को गुहार दो वरना आगे बढऩा भारी होगा।