…सूखी घास जलाने के कारण लगी आग!
झील में आग कैसे लगी इसे लेकर कयासों का दौर जारी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि सुबह 10 से 10.30 बजे के बीच ही धुंए के गुब्बारे दिखने लगे थे लेकिन दोपहर के बाद आग तेजी से फैली। प्रशासन का कहना है प्रथम दृष्टया किसी के झील के आस-पास के क्षेत्र में सूखी घास को जलाने के कारण आग लगी।
राज्य झील विकास व संरक्षण प्राधिकरण की मुख्य कार्यकारी अधिकारी सीमा गर्ग ने कहा कि लोगों को चिंतित होने की जरुरत नहीं है। अधिकांश हिस्सों में आग पर काबू पा लिया गया है और स्थिति नियंत्रण में है।
दमकल विभाग और प्राधिकरण का दल मौके पर मौजूद है। आग लगने के कारणों के बारे में पूछे जाने पर गर्ग ने कहा कि कुछ स्थानीय लोगों ने सूखी घास को जलाया था जिसके कारण आग लगी थी। ये लोग घास को इसलिए आग लगा देेते हैं ताकि मेवशियों के चारा उगाया जा चुका है। उन्होंने कहा कि झील से दूर के कुछ इलाकों में अब भी आग लगी हुई है लेकिन उसे जल्द काबू कर लिया जाएगा। प्रशासन अपनी तरफ से हर संभव कोशिश कर रहा है।
झील में आग कैसे लगी इसे लेकर कयासों का दौर जारी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि सुबह 10 से 10.30 बजे के बीच ही धुंए के गुब्बारे दिखने लगे थे लेकिन दोपहर के बाद आग तेजी से फैली। प्रशासन का कहना है प्रथम दृष्टया किसी के झील के आस-पास के क्षेत्र में सूखी घास को जलाने के कारण आग लगी।
राज्य झील विकास व संरक्षण प्राधिकरण की मुख्य कार्यकारी अधिकारी सीमा गर्ग ने कहा कि लोगों को चिंतित होने की जरुरत नहीं है। अधिकांश हिस्सों में आग पर काबू पा लिया गया है और स्थिति नियंत्रण में है।
दमकल विभाग और प्राधिकरण का दल मौके पर मौजूद है। आग लगने के कारणों के बारे में पूछे जाने पर गर्ग ने कहा कि कुछ स्थानीय लोगों ने सूखी घास को जलाया था जिसके कारण आग लगी थी। ये लोग घास को इसलिए आग लगा देेते हैं ताकि मेवशियों के चारा उगाया जा चुका है। उन्होंने कहा कि झील से दूर के कुछ इलाकों में अब भी आग लगी हुई है लेकिन उसे जल्द काबू कर लिया जाएगा। प्रशासन अपनी तरफ से हर संभव कोशिश कर रहा है।
पहली बार नहीं लगी है आग
यह कोई पहला मौका नहीं है जब इस झील में आग लगी हो। कुछ ढाई-तीन साल के दौरान इस झील में आग लगने और झाग निकलने की घटनाएं कई हो चुकी हैं लेकिन प्रशासन और सरकार इस पर काबू पाने में विफल रहे हैं। मई २०१५ और अगस्त २०१६ में झील में मिथेन गैस के कारण झाग बनने से आग लगी थी। पिछले साल फरवरी में झील में आग लगने के बाद यह मसला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उछला था। पिछले साल इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय हरित पंचाट (एनजीटी) ने स्थानीय निकायों- बृहद बेंगलूरु महानगर पालिका (बीबीएमपी), बेंगलूरु विकास प्राधिकरण (बीडीए), बेंगलूरु जलापूर्ति व मल निकासी बोर्ड (बीडब्लूएसएसबी), राज्य झील विकास व संरक्षण प्राधिकरण और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को झील को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए कदम उठाने को कहा था। एनजीटी की फटकार के बावजूद सरकार अब तक झील को प्रदूषण मुक्त कराने और अतिक्रमण हटाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा पाई है। इस झील के देखभाल का जिम्मा बीडीए के पास है। पंचाट ने कहा कि राज्य का झील प्राधिकरण दुनिया एकमात्र निकाय है जो झीलों में आग लगने के लिए जिम्मेदार है। गुरुवार को ही लोकायुक्त ने शहर के झीलों से अतिक्रमण हटाने के लिए ३ महीने की समय सीमा तय की थी। लोकायुक्त कुछ दिनों में झीलों का निरीक्षण भी करेंगे।
यह कोई पहला मौका नहीं है जब इस झील में आग लगी हो। कुछ ढाई-तीन साल के दौरान इस झील में आग लगने और झाग निकलने की घटनाएं कई हो चुकी हैं लेकिन प्रशासन और सरकार इस पर काबू पाने में विफल रहे हैं। मई २०१५ और अगस्त २०१६ में झील में मिथेन गैस के कारण झाग बनने से आग लगी थी। पिछले साल फरवरी में झील में आग लगने के बाद यह मसला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उछला था। पिछले साल इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय हरित पंचाट (एनजीटी) ने स्थानीय निकायों- बृहद बेंगलूरु महानगर पालिका (बीबीएमपी), बेंगलूरु विकास प्राधिकरण (बीडीए), बेंगलूरु जलापूर्ति व मल निकासी बोर्ड (बीडब्लूएसएसबी), राज्य झील विकास व संरक्षण प्राधिकरण और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को झील को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए कदम उठाने को कहा था। एनजीटी की फटकार के बावजूद सरकार अब तक झील को प्रदूषण मुक्त कराने और अतिक्रमण हटाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा पाई है। इस झील के देखभाल का जिम्मा बीडीए के पास है। पंचाट ने कहा कि राज्य का झील प्राधिकरण दुनिया एकमात्र निकाय है जो झीलों में आग लगने के लिए जिम्मेदार है। गुरुवार को ही लोकायुक्त ने शहर के झीलों से अतिक्रमण हटाने के लिए ३ महीने की समय सीमा तय की थी। लोकायुक्त कुछ दिनों में झीलों का निरीक्षण भी करेंगे।
सेना की मुस्तैदी से नहीं फैली आग
बेलंदूर झील में लगी आग जिस रफ्तार से आगे बढ़ रही थी बड़े पैमाने पर नुकसान का कारण बन जाती अगर सेना सेवा कोर एवं केंद्र (एएससी सेंटर एवं कॉलेज) समय पर हस्तक्षेप नहीं करता। दरअसल, बेलंदूर झील में लगी आग झाडिय़ों और जंगलों तक पहुंची और बहुत तेजी से फैलने लगी। कुछ ही पलों में यह आग पास के गांवों को अपने चपेट में ले सकती थी। एचएएल हवाई अड्डा भी दूर नहीं था। लेकिन, एएससी सेंटर एवं कॉलेज के जवानों की तत्परता से एक बड़ी घटना टल गई। एएससी सेंटर के जवान अपने ही संसाधनों और बाल्टी आदि लेकर आग बुझाने के लिए टूट पड़े।
एएससी सेंटर एवं कॉलेज के उप कमांडेंट एवं मुख्य अनुदेशक मेजर जनरल एनएस राजपुरोहित ने बताया कि आग की लपटें और बड़े पैमाने पर उठता धुंआ देख वो चौकन्ना हो गए। उन्हें समझते देर नहीं लगी कि आग भयंकर लगी है। वे तुरंत अपने वाहन में एक कर्नल और एक ब्रिगेडियर रैंक के अधिकारी के साथ निकल पड़े। उधर, एएससी सेंटर के प्रशिक्षु जवानों को अलर्ट किया। उन्होंनेे बताया कि आग तेजी से फैल रही थी और उसे रोकना बेहद चुनौतीपूर्ण था। यह तय करना मुश्किल था कि आग बुझाने का काम कहां से शुरू करें। लेकिन, जवानों ने रणनीति बनाई और योजनाबद्ध तरीके से आग को फैलने से रोका। इस बीच आग की तपन के कारण जंगल से सांप निकलने लगे। सेना के जवानों ने उसकी परवाह नहीं की और पूरी मुस्तैदी दिखाते हुए आग को रिहायशी इलाकों तक पहुंचने से रोका। इस दौरान एक फौजी को सांप ने काट लिया। उसे कमांड अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां वह खतरे से बाहर है। इस बीच सिविल एरिया से फायर ब्रिगेड के पहुंचने के बाद आग पूरी तह बुझा दी गई। इस दौरान मेजर जनरल राजपुरोहित एक ब्रिगेडियर और एक कर्नल रैंक के अधिकारी के साथ घटनास्थल पर डटे रहे।
उधर, रक्षा विभाग की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया कि बेलंदूर झील में दोपहर 12 बजे के लगभग आग लगी और सैन्य क्षेत्र की ओर फैलने लगी। सेना के करीब 5 हजार जवान एएससी सेंटर एवं कॉलेज के आग बुझाने वाले उपकरणों के साथ घटनास्थल पर पहुंचे और अपने अथक प्रयासों से आग को फैलने से रोका।
बेलंदूर झील में लगी आग जिस रफ्तार से आगे बढ़ रही थी बड़े पैमाने पर नुकसान का कारण बन जाती अगर सेना सेवा कोर एवं केंद्र (एएससी सेंटर एवं कॉलेज) समय पर हस्तक्षेप नहीं करता। दरअसल, बेलंदूर झील में लगी आग झाडिय़ों और जंगलों तक पहुंची और बहुत तेजी से फैलने लगी। कुछ ही पलों में यह आग पास के गांवों को अपने चपेट में ले सकती थी। एचएएल हवाई अड्डा भी दूर नहीं था। लेकिन, एएससी सेंटर एवं कॉलेज के जवानों की तत्परता से एक बड़ी घटना टल गई। एएससी सेंटर के जवान अपने ही संसाधनों और बाल्टी आदि लेकर आग बुझाने के लिए टूट पड़े।
एएससी सेंटर एवं कॉलेज के उप कमांडेंट एवं मुख्य अनुदेशक मेजर जनरल एनएस राजपुरोहित ने बताया कि आग की लपटें और बड़े पैमाने पर उठता धुंआ देख वो चौकन्ना हो गए। उन्हें समझते देर नहीं लगी कि आग भयंकर लगी है। वे तुरंत अपने वाहन में एक कर्नल और एक ब्रिगेडियर रैंक के अधिकारी के साथ निकल पड़े। उधर, एएससी सेंटर के प्रशिक्षु जवानों को अलर्ट किया। उन्होंनेे बताया कि आग तेजी से फैल रही थी और उसे रोकना बेहद चुनौतीपूर्ण था। यह तय करना मुश्किल था कि आग बुझाने का काम कहां से शुरू करें। लेकिन, जवानों ने रणनीति बनाई और योजनाबद्ध तरीके से आग को फैलने से रोका। इस बीच आग की तपन के कारण जंगल से सांप निकलने लगे। सेना के जवानों ने उसकी परवाह नहीं की और पूरी मुस्तैदी दिखाते हुए आग को रिहायशी इलाकों तक पहुंचने से रोका। इस दौरान एक फौजी को सांप ने काट लिया। उसे कमांड अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां वह खतरे से बाहर है। इस बीच सिविल एरिया से फायर ब्रिगेड के पहुंचने के बाद आग पूरी तह बुझा दी गई। इस दौरान मेजर जनरल राजपुरोहित एक ब्रिगेडियर और एक कर्नल रैंक के अधिकारी के साथ घटनास्थल पर डटे रहे।
उधर, रक्षा विभाग की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया कि बेलंदूर झील में दोपहर 12 बजे के लगभग आग लगी और सैन्य क्षेत्र की ओर फैलने लगी। सेना के करीब 5 हजार जवान एएससी सेंटर एवं कॉलेज के आग बुझाने वाले उपकरणों के साथ घटनास्थल पर पहुंचे और अपने अथक प्रयासों से आग को फैलने से रोका।