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बेंगलूरु बचाओ यात्रा पहुंची जयनगर, चिकपेट

locationबैंगलोरPublished: Mar 11, 2018 06:15:12 pm

Submitted by:

Ram Naresh Gautam

नेता बेंगलूरु शहर का उपयोग केवल एक एटीएम की तरह कर रहे हैं

BJP
बेंगलूरु. अगला विधानसभा चुनाव हारने के पश्चात मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या का उनकी जन्मस्थली सिद्धरामय्यनहुंडी में बसना तय है। लेकिन हमे बेंगलूरु शहर में रहना है। लिहाजा इस शहर की कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए हमें संघर्ष करना होगा। भाजपा नेता आर.अशोक ने शनिवार को जयनगर क्षेत्र के रागी गुड्डा आंजनेया परिसर में बेंगलूरु बचाओ पदयात्रा समारोह में कहा कि कांग्रेस के नेता बेंगलूरु शहर का उपयोग केवल एक एटीएम की तरह कर रहे हैं। शहर के विकास की आड़ में कांग्रेस के नेता राजस्व लूट रहे हैं। सड़कों के सीमेंटीकरण के नाम पर मंत्रियों ने करोड़ों रुपए कमाए हैं। कांग्रेस को शहर की बुनियादी सुविधाएं और कानून व्यवस्था की कोई चिंता नहीं है। जयनगर के विधायक बी.एन. विजयकुमार ने कहा कि जयनगर क्षेत्र में अवैध गतिविधियों और नशीले पदार्थों का बाजार फूल फल रहा है लेकिन गृहमंत्री रामलिंगा रेड्डी को इसकी कोई चिंता नहीं है। विदेशीनागरिक कॉलेज के छात्रों को नशीले पदार्थ बेचते हैं। उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही।
सीएम को धार्मिक मामले में हस्तक्षेप का अधिकार नहीं
बेंगलूरु. केवल राजनीतिक लाभ के लिए मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या लिंगायत तथा वीरशैव समुदायों के बीच खाई पैदा कर रहे हैं। किसी राजनेता को धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप का अधिकार नहीं है। समुदाय को बांटने के ऐसे प्रयासों का पुरजोर विरोध किया जाएगा। रंभापुरी पीठ के वरिष्ठ स्वामी वीरसोमेश्वर शिवाचार्य ने यह बात कही।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के इस प्रयास के विरोध में राज्य के विभिन्न मठों के प्रमुख स्वामी शीघ्र ही अदालत में याचिका दायर कर चुनौती देंगे।
समुदाय को विभाजित करने वाली कांग्रेस पार्टी को आगामी विधानसभा चुनाव में इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। इस अपराध के लिए यह समुदाय कांग्रेस को माफ नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि आज तक राज्य के किसी भी मुख्यमंत्री ने धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप का प्रयास नहीं किया था। उन्होंने कहा कि इस मामले में सुझाव देने के लिए गठित समिति को 6 माह का समय दिया गया था लेकिन सरकार ने दबाव डालकर केवल 2 माह में रिपोर्ट बनवा ली। इससे स्पष्ट है कि राज्य सरकार की मंशा साफ नहीं है। उन्होंने कहा कि आबादी के अनुपात को देखते हुए लिंगायत समुदाय धार्मिक अल्पसंख्यक दर्ज की मांग नहीं कर सकता है। सरकार हस्तक्षेप न करे।
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