राज्य सरकार ने शहीद के परिजनों को 25 लाख रुपए की मदद देने की घोषणा की है
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बेंगलूरु.जम्मू-कश्मीर के नगरोटा में हुए आतंकी हमले के शहीद मेजर अक्षय गिरीश को पूरे सैनिक सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। राज्य के कानून एवं संसदीय मामलों के मंत्री टीबी जयचंद्रा ने राज्य सरकार की ओर से यलहंका वायुसैनिक अड्डे पर शहीद को पुष्पांजलि अर्पित की। सादहल्ली जेड गार्डन निवासी शहीद मेजर अक्षय 51 इंजीनियर रेजिमेंट बंगाल सैपर्स के थे, वे नगरोटा हमले में शहीद हुए 7 जवानों में से एक थे। इससे पहले उनका शव यहां सेना के विशेष विमान से यलहंका वायुसैनिक अड्डे पर लाया गया जहां सेना के अधिकारियों ने पुष्पांजलि अर्पित की। यहां वाइस एडमिरल केओ ठाकरे, कर्नाटक एवं केरल उपक्षेत्र के जनरल आफिसर कमांडिंग केएस निज्जर, सेना एवं वायुसेना के विभिन्न यूनिटों के कमांडेंट और परिवार के सदस्यों के अलावा पुलिस आयुक्त एनएस मेघरिक, सेवारत एवं सेवानिवृत अधिकारी तथा जवानों ने पुष्पांजलि अर्पित की। इसके बाद बिगुल बजी और मेजर अक्षय के सम्मान में दो मिनट का मौन रखा गया। इन गमगीन पलों में बड़ी संख्या में सेना के जवान और उनके परिवारों के सदस्य में मौजूद रहे। थोड़ी देर बाद यलहंका वायुसैनिक अड्डे से उनका शव जेड गार्डन सादहल्ली ले जाया गया जहां लोगों के अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। शाम लगभग 3 बजे उनकी अंतिम यात्रा शुरू हुई। उनका अंतिम संस्कार हेब्बाल स्थित शवदाह गृह में किया गया। राज्य के कानून एवं संसदीय मामलों के मंत्री टीबी जयचंद्रा, वृहद बेंगलूरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) की महापौर जी.पद्मावती, मेजर जनरल एनएस राजपुरोहित तथा अन्य सेना के अधिकारी, उनके परिवार के सदस्य व आम आदमी उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे। इस बीच,राज्य सरकार ने शहीद के परिजनों को 25 लाख रुपए की मदद देने की घोषणा की है।
शिक्षकों ने दी श्रद्धांजलि मेजर अक्षयको राष्ट्रीय सैनिक स्कूल (आरएमएस) बेंगलूरु के शिक्षकों ने भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए स्कूल में बिताए उनके पलों को याद किया। अक्षय ने वर्ष 1998 में स्कूल प्रवेश लिया और वर्ष 2003 में बारहवीं कक्षा पास की, जहां उनका कैडेट नंबर 3485 रहा। अक्षय को याद करते हुए शिक्षिका एस. गायत्री ने कहा कि वह बहुत ही सक्रिय छात्र थे। वह एक उत्सुक जिज्ञासु थे और हमेशा कक्षा में आगे की बेंच पर बैठते थे। अपने सकारात्मकता से परिपूर्ण व्यवहार और मुस्कान भरे चेहरे के साथ सभी को आकर्षित करते। व्यवहारकुशल होने के साथ ही अक्षय में चित्रकला का कौशल गजब था। खेलों और सांस्कृतिक गतिविधियों में उत्साह के साथ भाग लेते। उनमें उच्च अनुशासन का गुण था और हमेशा सेना में अधिकारी पद पर सेवाएं देने का सपना देखते थे।उन्होंने नेशनल डिफेंस अकादमी के कोर्स में सफलता हासिल करते हुए अपने परिवार के तीसरी पीढ़ी के सैन्य अधिकारी बनने का गौरव हासिल किया। रसायन शास्त्र की शिक्षिका इंदिरा गुप्ता ने कहा कि अक्षय बहुत ही होशियार छात्र थे और उनका सेंस आफ ह्यूमर गजब का था।