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चीन के कारण अधर में लटकी बेंगलूरु-चेन्नई-मैसूरु तीव्र गति रेल परियोजन

locationबैंगलोरPublished: Oct 16, 2017 09:50:42 pm

दक्षिण के दो बड़े राज्यों की राजधानी को जोडऩे के लिए प्रस्तावित महत्वाकांक्षी तीव्र गति (हाई स्पीड) रेल परियोजना चीनी कंपनी

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नई दिल्ली. दक्षिण के दो बड़े राज्यों की राजधानी को जोडऩे के लिए प्रस्तावित महत्वाकांक्षी तीव्र गति (हाई स्पीड) रेल परियोजना चीनी कंपनी के दिलचस्पी नहीं लेने के कारण अधर में लटक गई है। चेन्नई को मैसूरु से जोडऩे के लिए बरास्ता बेंगलूरु प्रस्तावित इस परियोजना के लिए एक चीनी कंपनी ने प्रारंभिक व्यर्वहायता अध्ययन किया था लेकिन साल भर बाद भी उसने सरकार को कोई जबाव नहीं दिया है।


रेलवे अधिकारियों का मानना है कि चीनी कंपनी ऐसा रवैया शायद दोनों देशों के बीच डोकलाम के लेकर हुए विवाद के कारण अपना रही है। रेलवे की नौ प्रस्तावित हाई स्पीड परियोजनाओं के बारे में मोबिलिटी निदेशालय की स्थिति रिपोर्ट से बात सामने आई है। बेंगलूरु और चेन्नई के बीच प्रस्तावित ४९२ किलोमीटर लंबे कॉरिडोर के लिए सर्वे और अध्ययन का काम चीनी कंपनी साल भर पहले ही पूरा कर चुकी है। हालांकि, चीनी कंपनी के अब तक मंत्रालय को जबाव नहीं देने के कारण इस परियोजना का काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है।


मोबिलिटी निदेशालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीनी कंपनी ने नवंबर 2016 में अंतिम रिपोर्ट सौंपी थी और उसके बाद चीनी टीम ने बातचीत का सुझाव दिया था। लेकिन अभी तक उनकी तरफ से कोई तारीख तय नहीं की गई। रिपोर्ट में देरी की वजह के लिए स्पष्ट तौर पर चानी रेलवे की ओर से प्रतिक्रिया नहीं आने को जिम्मेदार ठहराया गया है।


2014-16 के बीच हुआ था अध्ययन
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि चीन ने 2014 से 2016 के बीच परियोजना की व्यवहार्यता को लेकर अध्ययन किया था। इस पूरे आकलन का खर्च भी चीन ने ही उठाया था। साथ ही चीन ने तो हाई स्पीड ट्रेन के अलावा अन्य परियोजनाओं में भी सहयोग की इच्छा जाहिर की थी। लेकिन पिछले कुछ समय से रेलवे बोर्ड का चीनी रेलवे कंपनी के अधिकारियों से कोई संपर्क नहीं हो पाया है, जबकि पिछले छह महीनों में ई-मेल के जरिए कई बार संपर्क करने की कोशिश की जा चुकी है।


चीन से संपर्क करने की कई बार कोशिश
एक अधिकारी ने कहा कि हमने कंपनी से बात करने के लिए यहां उनके दूतावास से भी संपर्क साधा पर हमें अब तक उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि इस साल 16 जून से 28 अगस्त के दौरान भारत और चीन के बीच डोकलाम को लेकर तनाव की स्थिति बनी हुई थी, ऐसे में हो सकता है कि इसी वजह से चीन ने अभी तक हाई स्पीड ट्रेन परियोजना को लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।


बाकी कॉरिडोर का काम तेजी से
रेलवे के संबंधित विभाग की ओर से बताया गया है कि इस एक परियोजना को छोडक़र बाकी सभी 8 हाई स्पीड कॉरिडोर का काम तेजी से चल रहा है। चीन ने मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड नेटवर्क के लिए भी प्रयास किया था पर जापान को यह काम मिला। मुंबई-दिल्ली सेक्टर में भी बुलेट परियोजना पर चीन रुचि ले रहा है। गौरतलब है कि चीन भारत के रेलवे इंजिनियर्स को प्रशिक्षित कर रहा है और उसकी मदद से भारत पहली रेलवे यूनिवर्सिटी शुरू करना चाहता है।

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