अब मिंटो आई अस्पताल की मदद से बेंगलूरु मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (बीएमसीआरआइ) के चिकित्सकों ने म्यूकोरमाइकोसिस पर शोध शुरू कर दी है। इसके लिए म्यूकोरमाइकोसिस के आठ मरीजों के सैंपल लिए गए हैं। शोध में शामिल बीएमसीआरआइ (Bangalore Medical College and Research Institute) के एक वरिष्ठ चिकित्सक ने बताया कि जिन सात मरीजों के सैंपल लिए गए हैं उनमें से छह मरीज की मौत हो चुकी है जबकि दो मरीज अपनी आंखों की रोशनी खो चुके हैं। इम्यूनिटी कम होने के कारण मधुमेह वाले कोविड मरीजों में यह संक्रमण आम है। मरीज को धुंधला दिखाई देने लगता है और साइनस में संक्रमण हो जाता है। म्यूकोरमाइकोसिस आंख की पुतलियों या आसपास के क्षेत्र को लकवाग्रस्त कर सकता है। दिल्ली सहित देश के कई हिस्सों में मरीजों के आंखों की रोशनी खोने के मामले भी सामने आए हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार चिकित्सकों के सलाह के बिना कोविड पॉजिटिव मधुमेह (Diabetes) के जो मरीज स्टेरॉयड का अनावश्यक या अत्याधिक इस्तेमाल करते हैं उनके रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ती है। रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम होने से म्यूकोरमाइकोसिस का खतरा रहता है।
शहर के एक निजी अस्पताल के चिकित्सक ने बताया कि बीते दो सप्ताह के दौरान म्यूकोरमाइकोसिस के 15 मरीजों की सर्जरी करनी पड़ी। दो सप्ताह में कुल 38 मामले सामने आ चुके हैं जबकि कोरोना की पहली लहर के दौरान केवल 33 मरीज मिले थे।
इएनटी सर्जन डॉ. दीपक एच. ने बताया कि ऐसा नहीं है कि कोरोना महामारी से पहले म्यूकोरमाइकोसिस के मरीज नहीं मिलते थे। महामारी के पहले साल में दो से तीन मरीजों का उन्होंने उपचार किया है। लेकिन, बीते तीन सप्ताह में उन्होंने करीब 38 मरीजों का उपचार किया है। ज्यादातर कोविड पॉजिटिव अनियंत्रित मधुमेह के मरीज म्यूकोरमाइकोसिस के शिकार हो रहे हैं।
स्वास्थ्य मंत्री ने मांगी रिपोर्ट
स्वास्थ्य व चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. के. सुधाकर (Dr. K. Sudhakar) ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों से म्यूकोरमाइकोसिस पर रिपोर्ट मांगी है। डॉ. सुधाकर ने बुधवार को कहा कि इस संक्रमण को लेकर उन्होंने तकनीकी सलाहकार समिति से विचार-विमर्श किया है। समिति दो दिनों में रिपोर्ट सौंपेगी। रिपोर्ट के आधार पर आगे की रणनीति तय करेंगे।