scriptकोविड मरीज के उपचार के लिए थमाया नौ लाख से ज्यादा का अनुमानित बिल | Bengaluru hospital gave over Rs 9 lakh estimated bill to covid suspect | Patrika News

कोविड मरीज के उपचार के लिए थमाया नौ लाख से ज्यादा का अनुमानित बिल

locationबैंगलोरPublished: Jul 17, 2020 03:03:27 pm

Submitted by:

Nikhil Kumar

सोशल मीडिया पर खबर वारयल होने के बाद चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. के. सुधाकर ने इसे सरकार द्वारा तय उच्चतम उपचार राशि नियम के उल्लंघन का मामला बताते हुए संबंधित अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

बेंगलूरु.

कर्नाटक के एक निजी अस्पताल ने वेंटिलेटर युक्त आइसीयू में कोरोना संदिग्ध मरीज के उपचार के लिए नौ लाख रुपए (Bengaluru hospital hands over Rs 9 lakh estimated bill to COVID-19 suspect) से ज्यादा का अनुमानित बिल बनाया है। साथ में यह भी कहा कि ये केवल अनुमानित बिल है। मरीज को अन्य बीमारियां हैं तो उपचार शुल्क इससे ज्यादा भी हो सकता है। (The bill said this is only an estimated amount and the actual costs could be higher in the event of complications)

वाइटफील्ड स्थित एक निजी अस्पताल ने इस अनुमानित बिल में वेंटिलेटर के लिए 1.4 लाख, दवा के लिए तीन लाख रुपए, लैब के लिए दो लाख रुपए, रेडियोलॉजी जांच व फिजियोथेरेपी के लिए 35 हजार रुपए सहित सर्जिकल व अन्य उपकरणों के लिए 25 हजार रुपए चार्ज करने की बात कही है। इतना ही नहीं, 75,000 रुपए कमरे का किराया, 75,000 रुपए पेशेवर शुल्क और 58,500 रुपए नर्सिंग चार्जेज के रूप में वसूले जाने का उल्लेख भी है। कुल बिल 9,08,500 रुपए का है।

सोशल मीडिया पर खबर वारयल होने के बाद चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. के. सुधाकर ने इसे सरकार द्वारा तय उच्चतम उपचार राशि नियम के उल्लंघन का मामला बताते हुए संबंधित अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

डॉ. सुधाकर ने बुधवार को स्पष्ट किया कि जो भी अस्पताल निर्धारित दरों से अधिक उपचार शुल्क वसूलते हैं उन्हें कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। सरकार ने पहले से ही उच्चतम उपचार शुल्क तय कर रखा है। जो सरकार द्वारा भेजे गए मरीजों सहित खुद से अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों पर लागू है।

मरीज के भतीजे अब्दुल बसीर ने बताया कि उसके चाचा ने रविवार को संत जॉन अस्पताल में कोरोना जांच कराई और रिपोर्ट लंबित थी। सोमवार दोपहर करीब ढाई बजे उन्हें सांस लेने में तकलीफ होने लगी। रक्त में ऑक्सीजन लेवल कम था। कोलंबिया एशिया अस्पताल से संपर्क करने पर पता चला कि आइसीयू बिस्तर उपलब्ध है। वे चाचा को लेकर फौरन अस्पताल के आपाताकालीन विभाग पहुंच गए। अस्पताल ने जब अनुमानित बिल की राशि बताई तो सभी के होश उड़ गए।

नौ लाख रुपए भरने की हैसियत नहीं थी

बसीर ने बताया कि मरते को बचाना जरूरी था लेकिन नौ लाख रुपए भरने की हैसियत नहीं थी। इसके बाद उन्होंने गैर सरकारी संगठन मर्सी मिशन से संपर्क किया। मिशन ने एचबीएस अस्पताल के डॉ. ताहा मतीन को मामले की जानकारी तो उन्होंने मरीज को अस्पताल लाने के लिए कहा लेकिन तब तक ऑक्सीजन का स्तर और बिगड़ चुका था। किसी तरह चाचा को एचबीएस अस्पताल में केवल 25 हजार रुपए के भुगतान पर भर्ती किया गया। मंगलवार सुबह रिपोर्ट आई तो चाचा पॉजिटिव निकले।
मामले की जानकारी होने पर स्वास्थ्य आयुक्त पंकज कुमार पांडे ने कहा कि मामले की जांच होगी जिसकी जिम्मेदारी जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. श्रीनिवास को सौंपी गई है।

ऐसे मामलों में अनुमानित बिल

कोलंबिया एशिया अस्पताल के महाप्रबंधक डॉ. चैतन्य पठानिया ने कहा कि मरीज को बुखार और सांस की तकलीफ के साथ अस्पताल लाया गया था। वायरल या वैक्टीरियल कारणों से मरीज के एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम से पीडि़त होने का शक था। पहले से मधुमेह और उच्च रक्तचाप की शिकायत भी थी। कोरोना संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई थी और मरीज को सरकार ने भी रेफर नहीं किया था। ऐसे मामलों में अनुमानित बिल देते हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि उपचार में इतने पैसे लगेंगे ही। कोरोना की पुष्टि होने के बाद मरीजों का उपचार सरकार द्वारा तय शुल्क पर ही किया जाता है। अस्पताल प्रबंधन सरकारी आदेशों और निर्देशों का पालन कर रहा है।

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