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कर्नाटक में कोविड से उबरी मरीज फिर संक्रमित

locationबैंगलोरPublished: Sep 07, 2020 06:39:47 pm

Submitted by:

Nikhil Kumar

राष्ट्रीय मानसिक आरोग्य व स्नायु विज्ञान संस्थान (निम्हांस) में वायरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. वी. रवि ने बताया कि कोविड से उबरे मरीजों को भी सावधानी बरतने की जरूरत है। कोरोना वायरस को मात देने का मतलब इससे आजादी नहीं है।
 
 

Corona treatment

Most corona patients in 22 wards of Jabalpur

बेंगलूरु. कर्नाटक में कोविड से उबरे मरीज के पुन: संक्रमित (रीइंफेक्शन) होने का पहला मामला (Bengaluru reports ‘first’ case of COVID-19 reinfection) सामने आया है। चिकित्सकों के अनुसार दक्षिण भारत का यह पहला मामला है। कोरोना को मात देने के करीब एक माह बाद 27 वर्षीय एक महिला अगस्त के अंतिम सप्ताह में फिर से पॉजिटिव निकली। प्रदेश स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और अध्ययन की बात कही है। साथ में लोगों से नहीं घबराने की अपील की है।

बन्नेरघट्टा रोड स्थित फोर्टिस अस्पताल में संक्रामक रोग विभाग के डॉ. प्रतीक पाटिल ने बताया कि छह जुलाई का महिला सिंप्टोमेटिक थी। खांसी, बुखार व गले में खराश की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंची थी। जांच में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई। अस्पताल में उपचार के बाद कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आने पर उसे 24 जुलाई को अस्पताल से छुट्टी मिली थी। उसे पहले से और कई बीमारी नहीं थी। लेकिन अगस्त के अंतिम सप्ताह में वह कोरोना संक्रमण के लक्षणों के साथ वापस अस्पताल पहुंची। जांच रिपोर्ट में रीइंफेक्शन की बात सामने आई। लेकिन इस बार लक्षण पहले की तुलना में हल्के थे। उपचार के बाद वह ठीक हो गई लेकिन प्रोटोकॉल के अनुसार डिस्चार्ज से पहले कोरोना जांच करने की जरूरत नहीं है।

डॉ. पाटिल ने बताया कि आम तौर पर संक्रमण के दो या तीन सप्ताह बाद इम्युनोग्लोबुलिन जी (आइजीएच) एंटीबॉडी जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आती है। लेकिन इस मामले में रिपोर्ट निगेटिव आई है। इसका मतलब है कि संक्रमण के बाद उसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहीं हुई। दूसरी संभावना यह हो सकती है कि एंटीबॉडी विकसित हुई लेकिन एक माह में बेअसर हो गई। ऐसे मामलों में कह सकते हैं कि या तो हर किसी के शरीर में एंटीबॉडी विकसित नहीं होते हैं या होते भी हैं तो लंबे समय तक शरीर में नहीं रहते हैं और वायरस को फिर से शरीर में प्रवेश का मौका मिल जाता है।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अपर प्रधान सचिव जावेद अख्तर ने लोगों से नहीं घबराने की अपील की है। उनके अनुसार रीइंफेक्शन के मामले दुर्लभ होते हैं। महामारी के शुरुआती दिनों में कर्नाटक में एक या दो ऐसे मामले सामने आ चुके हैं जिसमें डिस्चार्ज के कुछ दिनों में संबंधित मरीज पुन: संक्रमित हुआ हो। एंटीबॉडी के जीवन चक्र पर अध्ययन की जरूरत है। इस महिला मरीज के मामले में उसे डिस्चार्ज करने से पहले एंटीबॉडी की जांच नहीं हुई थी। इसलिए पता नहीं है कि उस समय उसके शरीर में एंटीबॉडी विकसित हुई थी या नहीं। चिकित्सक इस पर विस्तार में अध्ययन करेंगे।

नोडल अधिकारी (टेस्टिंग) डॉ. सी. एन. मंजुनाथ के अनुसार भी एंटीबॉडी का कम समय तक शरीर में होना रीइंफेक्शन के कारण हो सकते हैं। इस तरह के मामले दुर्लभ हैं।

राष्ट्रीय मानसिक आरोग्य व स्नायु विज्ञान संस्थान (निम्हांस) में वायरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. वी. रवि ने बताया कि कोविड से उबरे मरीजों को भी सावधानी बरतने की जरूरत है। कोरोना वायरस को मात देने का मतलब इससे आजादी नहीं है।

उल्लेखनीय है कि हॉन्गकॉन्ग में 24 अगस्त को रीइंफेक्शन पहला मामले आने के बाद अमरीका, बेल्जियम और नीदरलैंड से भी ऐसी रिपोर्ट आई है। कुछ दिनों पहले मुंबई में भी कोविड से उबरा एक चिकित्सक दो महीने बाद फिर से संक्रमित हो गया।

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