एक साल पुराना निर्णय
दरअसल कन्नड़ विकास प्राधिकरण (केडीए) के प्रस्ताव पर कर्नाटक प्रदेश उच्च शिक्षा परिषद ने जून 2019 में अंग्रेजी सहित कन्नड़ में भी अंकपत्र जारी करने का निर्णय लिया था। इसका मकसद उच्च शिक्षा स्तर पर प्रशासन और शैक्षणिक कार्यों में कन्नड़ लागू करना था। लेकिन एक वर्ष बाद किसी विवि ने इसे अमली जामा नहीं पहनाया है। विश्वविद्यालयों की राय अलग-अलग हैं। निजी हो या सरकारी सभी विवि पर यह निर्णय लागू है। एक कुलपति के अनुसार दो भाषाओं में अंकपत्र जारी करने में कोई विशेष समस्या नहीं है लेकिन अंकपत्र का आकार पहले से काफी बड़ा हो जाएगा।
फॉन्ट छोटा रखना ही रास्ता
एक अन्य विवि के कुलसचिव ने बताया कि दो भाषा में अलग-अलग अंकपत्र जारी करना संभव नहीं होगा। लेकिन मौजूदा अंकपत्र को द्विभाषी बना सकते हैं। अंकपत्र का आकार बड़ा न हो इसके लिए फॉन्ट का आकार छोटा रखना होगा। दो भाषाओं में अंकपत्र छापने से काम दोगुना हो जाएगा क्योंकि विषयों की संख्या भी दोगुनी हो जाएगी।
बीयू के कुलपति प्रो. के. आर. वेणुगोपाल ने बताया कि बीयू अगले शैक्षणिक वर्ष से दोनों भाषाओं में अंकपत्र जारी करने की तैयारी में है।