मुनि ने कहा कि आज के मनुष्य के जीवन शैली ऐसी रही है वह अपना मालिक कभी नहीं बन पाया। क्योंकि दूसरा व्यक्ति ही उसके जीवन की गतिविधियों का संचालन करता है। प्रत्येक व्यक्ति अपना स्वभाव से नहीं दूसरों के प्रभाव से जी रहा है।
दूसरों के शब्दों से व्यक्ति प्रभावित होकर संचालित हो जाता है कि स्वयं के भीतर झांकने का अवसर ही नहीं आ पाता। भगवान महावीर ने कहा है कि तुम स्वयं मालिक हो अत:अपने मालिक बनो। अपना मालिक बनते ही हम भीतर की संपदा से परिचय कर लेते हैं होश का दिया जल जाए तो भीतर का मालिक बनना आसान है।