भारत ऋषि मुनि और संतों की भूमि
बैंगलोरPublished: Sep 23, 2018 08:13:04 pm
राजाजीनगर स्थानक में धर्मसभा
भारत ऋषि मुनि और संतों की भूमि
आचार्य आत्माराम की जयंती एवं साध्वी चरमप्रज्ञा की पुण्यतिथि मनाई
बेंगलूरु. राजाजीनगर स्थानक में साध्वी संयमलता, अमितप्रज्ञा, कमलप्रज्ञा, सौरभप्रज्ञा आदि ठाणा 4 के सान्निध्य में आचार्य आत्माराम की जयंती एवं साध्वी चरमप्रज्ञा की पुण्यतिथि एकासान दिवस के रूप में मनाई गई। साध्वी संयमलता ने कहा कि भारत की भूमि ऋषि मुनि और संतों की भूमि है। यह वसुंधरा संत मुनि के त्याग, वैराग्य और बलिदानों पर टिकी है। आत्माराम श्रमण संघ के प्रथम आचार्य थे। अनेक ग्रंथ, आगम और साहित्य के सृजनहार थे। साध्वी चरणप्रज्ञा का संपूर्ण जीवन त्यागमय रहा। साध्वी सौरभप्रज्ञा ने कहा कि पांच इंद्रियों में जीभ का विशेष महत्व है। जीभ का प्रमुख कार्य बोलना और स्वाद लेना है। सुख के इच्छुक खाने में विवेक व संयम रखकर राग द्वेष उत्पन्न करने वाले रसों के स्वाद से बचें। रेखा सिंघवी ने 26 उपवास के प्रत्याख्यान ग्रहण किए। भगवान पाŸवनाथ माता पद्मावती एकासना में 300 से ज्यादा श्रावक श्राविकाओं ने भाग लिया। साध्वी कमलप्रज्ञा ने एकासना विधि संपन्न करवाई। शनिवार को आचार्य जयमल की जयंती तप त्यागपूर्वक मनाई जाएगी।
शांति संदेश सुन आनंदित हुए लोग
बेंगलूरु. केएसआर बेंगलूरु सिटी रेलवे स्टेशन पर बेंगलूरु राज विद्या केंद्र की ओर से शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस के अवसर पर कार्यक्रम में शांंति संदेशों को आमजन तक पहुंचाने की अनोखी कोशिश की गई। प्रमुख वक्ता प्रेम रावत द्वारा शांति पर दिए गए संदेशों को श्रोताओं ने आत्मसात किया। 100 से अधिक देशों में अपने शांति का संदेश पहुंचा चुके रावत ने कहा कि जीवन में जहां व्यक्ति अशांति एवं तमाम परेशानियों से जूझ रहा है वहां शांति का संदेश से बेहतर उसके लिए कोई दवा नहीं हो सकती। उपस्थित हर उम्र वर्ग के लोग संगीत का आनंद लेने के साथ ही सेल्फी लेने से भी नहीं चूके। लोगों ने भी अपने विचार व्यक्त किए। श्रोताओं ने बड़ी शंांति के साथ वक्ताओं के शांति संदेश को सुना और सराहा।