साध्वी ने भूमि पूजन की विशेषता बताते हुए कहा कि भूमि को समस्त जगत जननी, जगत की पालक माना जाता है। इसलिए हिंदू धर्मग्रंथों में धरती को मां का दर्जा भी दिया गया है। भूमि यानि धरती से हमें क्या मिलता है यह सभी जानते हैं रहने को घर, खाने को अन्न, नदियां, झरने, गलियां, सडक़ें सब धरती के सीने से तो गुजरते हैं। इसलिए तो शास्त्रों में भूमि पर किसी भी कार्य को चाहे वह घर बनाने का हो या फिर सार्वजनिक इमारतों या धर्म स्थानकों, मार्गों का, निर्माण से पहले भूमि पूजन का विधान है। माना जाता है कि भूमि पूजन न करने से निर्माण कार्य में कई प्रकार की बाधाएं उत्पन्न होती हैं। कई बार जब कोई व्यक्ति भूमि खरीदता है तो हो सकता है, उक्त जमीन के पूर्व मालिक के गलत कृत्यों से भूमि अपवित्र हुई हो इसलिए भूमि पूजन द्वारा इसे फिर से पवित्र किया जाता है। मान्यता है कि भूमि पूजन करवाने से निर्माण कार्य सुचारू ढंग से पूरा होता है। निर्माण के दौरान या पश्चात जीव की हानि नहीं होती व साथ ही अन्य परेशानियों से भी मुक्ति मिलती है। साध्वी ने गणतंत्र दिवस पर कहा कि वं – वंदन हो आर्यभूमि को, वंदन हो पितृभूमि को, वंदन हो भारत, दे-देश को नमन हो, इस संतो की भूमि को, नमन हो इस मोक्ष भूमि को। मां-मातृभूमि को। महाराजाओं की, महापुरुषों की इस भूमि को हजारों वंदन। त-तारक तीर्थंकरों की तारकता को कोटि कोटि वंदन। र-रमणीय ऐसे जंगल, पवित्र ऐसी नदियों और म- मंगल ऐसे तीर्थों की पावन भूमि को नमन, दुर्लभ ऐसी आर्यभूमि के कण कण को नमन। कार्यक्रम का संचालन उमेद रांका ने किया। साध्वी डॉ. कुमुदलता ने पांडवपुरा श्रीसंघ के श्रावक-श्रविकाओं को धन्यवाद दिया।