भूतकाल भूत के समान: मुनि सुधाकर
- सभा भवन में प्रवचन

मैसूरु. मुनि सुधाकर व मुनि नरेश कुमार ने तेरापंथ सभा भवन, मैसूरु में प्रवचन में कहा कि जीवन को सहज और सुंदर बनाने के लिए आध्यात्मिक साहित्य में दृष्टि संयम, श्रुति संयम , खाद्य संयम और आसन संयम के साथ स्मृति संयम पर भी बहुत बल दिया गया है। हम जो ज्ञान ग्रहण करते हैं उसमें आवश्यक और अनावश्यक, सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार के तत्व होते हैं अनावश्यक और नकारात्मक विचारों से निर्भर और मुक्त बनाना स्मृति स्वयं का तात्पर्य है ।
मुनि ने कहा कि भूतकाल भूत के समान होता है। जिस प्रकार भूत प्रेत की छाया मनुष्य का पीछा नहीं छोड़ती, उसी प्रकार मनुष्य की भावनाओं के भूतकाल की क्रिया प्रतिक्रिया का क्रम चालू रहता है। इससे हम वर्तमान के स्वर्णिम चरणों का समुचित लाभ प्राप्त नहीं कर सकते। किसी भी कार्य की सिद्धि और सफलता के लिए उसके प्रति समग्रता से समर्पण आवश्यक है।
मुनि सुधाकर व मुनि नरेश कुमार ने मैसूर पैलेस में भ्रमण किया। तेरापंथ समाज के वरिष्ठ श्रावक महेंद्र नाहर, तेरापंथ महिला मंडल की सुधा नौलखा, धर्मेंद्र रावत, मोहित रावत, अभिनव, वेद, चेतन दक, राकेश सिंह आदि श्रावक थे। व्यवस्था में महेंद्र नाहर का विशेष सहयोग रहा।
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