उन्होंने कहा कि डॉ. धारवाडक़र का कन्नड़ एवं कर्नाटक के व्याख्यान करने का तरीका अद्भुत था। कन्नड़ और अंग्रेजी भाषा को कालेज में पढ़ाया करते थे। उस दौर में जेएसएस कालेज को धारवाडक़र कालेज तथा कर्नाटक कालेज को गोकाक कालेज के नाम से पहचाने जाते थे। उस जमाने में धारवाड़ के दो ही प्रमुख कालेजों को दोनों महापुरुषों ने नाम रौशन किया था। उनके द्वारा रचित साहित्य को एसे कार्यक्रमों से याद किया जाता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर प्राचार्य डॉ. अजित प्रसाद ने कहा कि डॉ. धारवाडक़र ने हमारे कालेज के प्राचार्य के तौर पर काफी लम्बे समय तक कार्य कर महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है जिसको हम आज भी याद करते हैं।
कार्यक्रम में डॉ.आर.वाई. धारवाडक़र का पुत्र अनिल और सुजाता धारवाडक़र दम्पतियों तथा कर्नाटक साहित्य परिषद (कसाप) के जिला अध्यक्ष डॉ. लिंगराज अंगडी को सम्मानित किया गया। अनिव धारवाडक़र ने अपने पिता के नाम पर विभिन्न साहित्य प्रतियोगिताएं आयोजन करने के लिएकसाप अध्यक्ष डॉ. अंगडी को 25 हजार रुपए का चेक दिया।
वरिष्ट पत्रकार गणेश जोशी ने धारवाडक़र को डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की। आराधना रायचूरु ने प्रार्थना प्रस्तुत की। कसाप के गौरव सचिव डॉ. जीनदत्त हडग़ली ने कार्यक्रम का संचालन किया। गौरव कोषाध्यक्ष प्रो.एस.एस. दोड्डमनी ने आभार व्यक्त किया।
इस स्कूल में छाते के नीचे पढ़ाई
हासन.बारिश हो जाए तो इस ५० साल पुराने सरकारी स्कूल के विद्यार्थियों को कक्षा के अंदर भी छाता खोलना पड़ता है। इसके बाद ही वे पढ़ पाते हैं। यह सिलसिला कई वर्षों से जारी है। हासन मुख्यमंत्री एच.डी. कुमारस्वामी व लोक निर्माण विभाग मंत्री एच. डी. रेवण्णा का गृह जिला होने के बावजूद यह हालत है।
जिले के अरकलगुड तालुक के मल्लिपट्टना होबली स्थित इस उच्च विद्यालय के आठ में से दो कमरों में प्रबंधन व प्रशासनिक कार्य चलते हैं। बारिश में तीन कमरे इस्तेमाल के लायक नहीं रहते। भवन जर्जर हो चुका है। दीवारों में दरारें पड़ चुकी हैं। बारिश के दौरान छत से पानी टपकता है।
लगातार शिकायतों के बावजूद वरिष्ठ अधिकारियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है और विद्यार्थी किसी प्रकार पढऩे को मजबूर हैं। शेष तीन कमरों में किसी तरह कक्षा का संचालन होता है। वो भी छातों की मदद से। बावजूद इसके इस स्कूल के सभी विद्यार्थी गत तीन वर्षों से एसएसएलसी (१०वीं) की परीक्षा में उत्तीर्ण होते आ रहे हैं।
स्कूल के प्रधानाध्यापक शिवप्रकाश ने बताया कि स्कूल में फिलहाल १६८ विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं। इनमें ८७ छात्र व ८१ छात्राएं हैं। स्कूल भवन की हालत जर्जर है और विद्यार्थियों के हिसाब से कमरों की संख्या बेहद कम है। जिला पंचायत के सदस्य रेवण्णा ने गत वर्ष दो लाख रुपए का अनुदान दिया था। जिससे दो कमरों की हालत थोड़ी सुधरी। छत को प्लास्टिक से ढंका गया। स्कूल की छत और दीवारें कमजोर हो चुकी हैं। कभी भी हादसा हो सकता है।