सिद्धरामय्या ने बुधवार को सदन की कार्यवाही दूसरी बार स्थगित कर दिए जाने के बाद विधानसौधा में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि उन्होंने अध्यक्ष को विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव का नोटिस दिया है और इस बारे में बहस की मांग की है। अध्यक्ष कागेरी ने उनको प्रश्नकाल के बाद बहस करवाने का भरोसा दिलाया था। लेकिन इस पर्सातव पर बहस नहीं होने देने के लिए सत्तापक्ष ने सदन की कार्यवाही में जान बूझकर खलल डाला है।
उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ भाजपा ने भी अध्यक्ष को अलग से नोटिस दिया है। लेकिन पहले उनको बोलने का अवसर देने व उसके बाद ही दूसरों के नोटिस पर बहस करवाने का उन्होंने अध्यक्ष से अनुरोध किया लेकिन भाजपा के लोग कलाप की नियमावली के अनुसार सदन की कार्यवाही चलने नहीं दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष की पीठ व सदस्यों के बारे में स्वेच्छाचार से बोलने का नियमावली में प्रावधान नहीं है। इसके बावजूद सत्तापक्ष के सदस्यों के बोलने से रमेश कुमार के विशेषाधिकार का हनन हुआ है।
मुख्यमंत्री येडियूरप्पा द्वारा पेश बजट को जनविरोधी करार देते हुए सिद्धरामय्या ने कहा कि इस बारे में सदन में बहस नहीं होने के मकसद से ही भाजपा सदस्य कार्यवाही बाधित कर रहे हैं। बसन गौड़ा पाटिल के मसले पर भी मुख्यमंत्री येडियूरप्पा ने मौन धारण करके रखा और अब बी मौन साध रखा है। इससे यह संदेह होता है कि वे सत्तापक्ष के सदस्यों की बातों का समर्थन कर रहे हैं। विपक्ष के नेता को बोलने का अवसर नहीं देने से यही संकेत मिलता है कि भाजपा के सदस्य लोकतंत्र विरोधी रवैया अपना रहे हैं। अधिवेशन सरकार ने बुलाया है लिहाजा यहां पर लोगों की समस्याओं पर बहस होनी चाहिए और बहस के बाद सरकार को उत्तर देना होता है।
सिद्धरामय्या ने आरोप लगाया कि बुधवार को सदन की कार्यवाही दुबारा शुरू होने पर भी अध्यक्ष ने हमें बहस का अवसर देने के बजाय जगदीश शेट्टर को बोलने की इजाजत दी जो ठीक नहीं है। उन्होंने अपने 40 सालों को राजनीतिक अनुभव के दौरान ऐसी स्थिति कभी नहीं देखी। सत्तारूढ़ दल के रवैये को लोग भी ध्यान से देख रहे हैं। हम अध्यक्ष के समक्ष अपना नजरिया स्पष्ट करेंगे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कलबुर्गी में कोरोना वायरस के संक्रमण से एक व्यक्ति की मौत होने की जानकारी उनको मिली है पर अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है। राज्य में 4 जनों में इस वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई है।