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बैंगलोर

कर्नाटक में भाजपा के आए ‘अच्छे दिन’, कांग्रेस को झटका

बागियों के सहारे बढ़ा भाजपा का जनाधार

बैंगलोरDec 11, 2019 / 05:46 pm

Priyadarshan Sharma

कर्नाटक में भाजपा के आए 'अच्छे दिन', कांग्रेस को झटका

BJP Karnataka

बेंगलूरु. विधानसभा उपचुनाव में न सिर्फ भाजपा ने कई ऐसे विधानसभा क्षेत्रों में अपना खाता खोला जहां अब तक कांग्रेस और जद-एस में मुख्य प्रतिद्वंद्विता थी बल्कि भाजपा के सभी क्षेत्रों में वोट प्रतिशत भी अप्रत्याशित रूप से बढ़े हैं। विशेषकर चुनाव परिणाम ने पुराने मैसूरु क्षेत्र में भाजपा का जनाधार बढऩे का संकेत दिया है।
वहीं, उत्तर कर्नाटक के कई विधानसभा क्षेत्रों में अब कांग्रेस के लिए अपने संगठन को सुदृढ़ करने की चुनौती है क्योंकि जो विधायक भाजपा से जीत कर आए हैं वे पिछले दो दशकों से कांग्रेस का चेहरा थे। और अब उनके भाजपा में जाने से कांग्रेस का कोर वोटबैंक भी भाजपा में शिफ्ट हुआ है जिससे भाजपा दोहरे फायदे में रही है जबकि कांग्रेस और जद-एस की राह बेहद मुश्किल हो गई है।
भाजपा ने इस चुनाव में न सिर्फ लिंगायत बहुल इलाकों में शानदार सफलता पाई बल्कि वोक्कलिगा बहुल केआरपेट और चिकबल्लापुर में खाता खोलने में सफल रही। हालांकि इस जीत में भाजपा के साथ मौजूदा विधायकों का करिश्मा ज्यादा है। चिकबल्लापुर में अब तक भाजपा की जमीनी स्थिति न के बराबर रही थी लेकिन इस बार के. सुधाकर के उम्मीदवार बनने से भाजपा का वोट बैंक भी बढ़ गया। वर्ष २०१८ में भाजपा को मात्र ३.५२ प्रतिशत वोट मिले थे वहीं उपचुनाव में ४५ प्रतिशत वोट आए। यानी एक बार में ४१.५ फीसदी वोट की बढ़ोत्तरी हुई।
इसी प्रकार केआरपेट में पिछले वर्ष के विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को मात्र ५.६९ प्रतिशत वोट आए थे जबकि इस बार भाजपा के केसी नारायण गौड़ा को ३९.४१ प्रतिशत वोट पड़े। यानी गौड़ा के भाजपा में आने से वोट प्रतिशत भी करीब ३५ प्रतिशत बढ़ गया।
जद-एस का मजबूत गढ़ माने जाने वाले यशवंतपुर में इस बार एसटी सोमशेखर ने भाजपा उम्मीदवार के तौर पर ५०.८६ प्रतिशत वोट हासिल किया जबकि २०१८ में भाजपा उम्मीदवार को मात्र २० फीसदी वोट मिले थे। महालक्ष्मी ले-आउट में भी भाजपा के वोट प्रतिशत में करीब २९ प्रतिशत की बढ़ोत्ती हुई।
वहीं, हुणसूर में भाजपा प्रत्याशी केएच विश्वनाथ भले चुनाव हार गए लेकिन भाजपा का वोट प्रतिशत २०१८ के२.३८ प्रतिशत की तुलना में उपचुनाव में २६ प्रतिशत ज्यादा रहा। १५ विधानसभा क्षेत्रों में जहां भाजपा को ५०.३२ प्रतिशत वोट आए वहीं कांग्रेस को ३१.५ फीसदी और जद-एस को ११.९ प्रतिशत वोट मिले।
विधायकों के इस्तीफा देकर भाजपा में जाने से कांग्रेस की बनी बनाई जमीन भी खिसक गई। ज्यादातर विधानसभा क्षेत्रों में विधायक ही कांग्रेस की पहचान बन चुके थे और उनके पार्टी छोडऩे से कांग्रेस की दूसरी पीढ़ी के नेता मतदाताओं को आकर्षित करने में नाकाम रहे। यही कारण रहा कि यशवंतपुर में कांग्रेस का वोट प्रतिशत करीब ३५ प्रतिशत कम हुआ तो चिकबलापुर में २३ फीसदी और केआरपुरम में २० प्रतिशत कम हुआ। यहां तक कि शिवाजीनगर में मिली जीत के बाद भी वहां कांग्रेस का वोट मात्र २.५ प्रतिशत बढ़ा।
रानीबेन्नूर और कागवाड़ में भाजपा और कांग्रेस का सीधा मुकाबला था लेकिन यहां भी कांग्रेस का वोट प्रतिशत क्रमश: ९ और १६ प्रतिशत कम गया।

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