सिद्धरामय्या ने कहा कि बीडीए के भूखंडों के आवंटियों की भूमि मालिकों के साथ लंबी कानूनी लड़ाई के बाद जारी कोर्ट आदेशों के कारण उलझन पैदा हुई है। मैं इस मामले में किसी तरह शामिल नहीं हूं। भाजपा के पास मेरे खिलाफ कोई सबूत नहीं है। उन्होंने कोई दस्तावेज पेश नहीं किए बल्कि वास्तविकता को छिपाने का प्रयास किया है। जिन लोगों ने उनके खिलाफ आरोप लगाए हैं, वे उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे। उन्होंने इस मामले में अपने किसी भी प्रकार का संबंध होने से इंकार करते हुए कहा कि विपक्ष के पास कोई दस्तावेज हो तो उसे पेश करे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मूल रूप से 131.33 एकड़ भूमि अवाप्त की गई थी जिसमें से 108.17 एकड़ के बारे में प्रारंभिक अधिसूचना जारी की गई। इसमें से केवल 13.36 एकड़ जमीन पर लेआउट बनाया गया। उन्होंने बताया, कोर्ट ने कहा चूंकि बीडीए इस योजना को विकसित करने में विफल रहा है लिहाजा अधिग्रहण निष्प्रभावी हो जाता है।
भाजपा के भूमि डीनोटिफाई करने संबंधी पत्र पर उनके हस्ताक्षर होने के आरोप पर मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि पूर्व विधायक वसंत बंगेरा इस मामले में मुख्यमंत्री होने के नाते उन्हें पत्र लिखा था। इस पत्र पर उन्होंने अधिकारियों के लिए केवल नोट लिखा कि एग्जामिन एंड डिस्कस। इसी के मद्देनजर बीडीए ने रिपोर्ट पेश की और कानून विभाग ने कहा कि हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देना उचित नहीं है। मेरा इस प्रकरण में कोई हाथ नहीं है। भाजपा को 2018 का चुनाव हारने का भय सता रहा है इसी वजह से वे मेरे खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं।