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शरीर नौका, नाविक आत्मा और संसार सागर-डॉ. समकित मुनि

locationबैंगलोरPublished: Oct 20, 2020 12:08:40 pm

Submitted by:

Yogesh Sharma

अशोकनगर शूले में धर्म चर्चा

शरीर नौका, नाविक आत्मा और संसार सागर-डॉ. समकित मुनि

शरीर नौका, नाविक आत्मा और संसार सागर-डॉ. समकित मुनि

बेंगलूरु. अशोकनगर शूले में विराजित श्रमण संघीय डॉ.समकित मुनि ने कहा छिद्र रहित नौका में बैठकर ही महान प्रवाह वाले समुद्र को पार कर किनारे तक पहुंच सकते हैं। शरीर हमारा नौका है, नाविक आत्मा है और संसार सागर है। संसार रूपी समुद्र को पार करने के लिए शरीर रूपी नौका आवश्यक है। शरीर का अपना बहुत महत्व है। शरीर ज्ञान- दर्शन-चरित्र का आधार रूप है, शरीर जीव का आधारभूत है। शरीर रूपी नौका का संचालक जीव है। नाविक अच्छा होने पर भी यदि नाव में छेद है तो पार नहीं लगेगी बल्कि डूब जाएगी। शरीर की नौका में आश्रव के छेद होने पर आत्मा संसार सागर को पार नहीं कर पाएगी। जब तक आश्रव है तब तक संसार है। मिथ्यात्व, प्रमाद, कषाय, अयतना आदि 20 प्रकार का आश्रव मुनि ने बताया।
मुनि ने कहा श्रावक धर्म स्थान में प्रवेश पूर्व सचित का त्याग और अचित वस्तु का विवेक रखें। अजीव काय का भी संयम होना चाहिए। अजीब वस्तुओं के साथ भी कभी भी शैतानियत का व्यवहार नहीं करना चाहिए। सजीव के साथ-साथ निर्जीव वस्तुओं के प्रति भी आदर और सम्मान होना चाहिए। वस्तु का यतना पूर्वक उपयोग करना धर्म है। जहां अविवेक है वहां प्रत्येक कार्य में पाप (अधर्म) है। हमेशा कोई भी वस्तु लेते अथवा रखते समय विवेक जागरूक रखो। यतना पूर्वक चलने से भी धर्म हो जाता है और अयतना पूर्वक धर्म स्थानक में क्रिया करते हैं तो धर्म का स्थान भी पाप बंद का स्थान (कारण) बन जाता है। रोजमर्रा के जीवन में जो वस्तुएं हमारी उपयोगी है, जो हमें सहयोग एवं सुरक्षा प्रदान करती है ऐसी वस्तुओं को आदर पूर्वक ग्रहण करके, उपयोग करने के पश्चात सम्मान पूर्वक यथा स्थान रखें। संघ के प्रचार-प्रसार चेयरमैन प्रेमकुमार कोठारी ने बताया कि 25 अक्टूबर से भगवान महावीर की अंतिम वाणी उत्तराध्ययन सूत्र का मूल पाठ एवं विवेचन प्रतिदिन डॉ. समकित मुनि के मुखारविंद से होगा। प्रवचन प्रसारण फेसबुक पर ऑनलाइन किया जा रहा है। ज्ञात है कि आगामी 23 अक्टूबर को मुनि सुमतिप्रकाश का भी जन्मोत्सव मनाया जा रहा है। संचालन संघ के मंत्री मनोहरलाल बंब ने किया।
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