scriptउबलता हुआ अहंकार ही तो क्रोध: ज्ञानमुनि | Boiling ego is anger: Gyanmuni | Patrika News

उबलता हुआ अहंकार ही तो क्रोध: ज्ञानमुनि

locationबैंगलोरPublished: Aug 09, 2020 02:55:10 pm

विजयनगर में प्रवचन

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बेंगलूरु. ज्ञानमुनि ने कहा कि हर मानव के मन में एक महत्वाकांक्षा होती है कि वह महान बने। उसके हर प्रयत्न महान बनने की दिशा में होते हैं, पर ज्योंहि वह आगे बढऩे का प्रयत्न करता है त्योंहि उसके मन का अहंकार उसके मार्ग में बाधक बनकर खड़ा हो जाता है।
सफलता के साथ मानव मन में अहं जन्म लेता है वही अहम उसकी प्रगति को ठप कर देता है। अहम भाव तिनके के समान होता है।

उन्होंने कहा कि अहंकारी व्यक्ति की आदत होती है कि वह अपने ही कार्यों को सर्वश्रेष्ठ मान बैठता है। उसके कान हमेशा अपनी प्रशंसा सुनने को ही उत्सुक रहते हैं। कुछ लोग तो प्रशंसा के इतने पिपासु रहते हैं कि अपने विज्ञापन के लिए एक साथी को हमेशा साथ रखते हैं जो कि मिलने जुलने वालों के सामने उनका विज्ञापन करता रहता है।
अहंकार का यह कषाय भयंकर होता है।
उन्होंने कहा कि क्रोध के कीटाणु अहंकार से पैदा होते हैं। क्रोध की जड़ अहंकार है। जब मानव मन में अहंकार पर आघात होता है तो उबल पड़ता है। वह उबलता हुआ अहंकार ही तो क्रोध है।
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