कार्यक्रम में इसरो अध्यक्ष के.शिवन ने कहा कि यह एक अनूठा अवसर है। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों की शुरुआत समाजिक हित और वंचितों तक सेवाएं पहुंचाने के लिए हुई थी। इसरो का उद्देश्य विश्व की अन्य अंतरिक्ष एजेंसियों को उद्देश्यों से अलग है। पिछले पांच दशकों में इसरो ने अपनी उस प्रतिबद्धता को दिखाया है।
उन्होंने कहा कि आज यह कहा जा सकता है कि हर भारतीय की सुरक्षा को अंतरिक्ष तकनीक से जोड़ा जा चुका है। भविष्य में भी अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी मानव सभ्यता के लिए महत्वपूर्ण बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि अगर अंतरिक्ष में 100 किमी की ऊंचाई से देखा जाए तो देशों की सीमाएं नजर नहीं आती। अंतरिक्ष मानवता को जोड़ता है और उन्नति कार्यक्रम उसी की कड़ी है।
इस अवसर पर यूआर राव उपग्रह केंद्र के निदेशक पी.कुन्हीकृष्णन ने कहा कि प्रतिभागियों के साथ प्रारंभिक चर्चा के बाद वे आश्वस्त हैं कि विभिन्न वर्गों से आने वाले ये उपग्रह विज्ञानी बनेेंगें।
कार्यक्रम के तहत तीन चरणों में 45 देशों के 90 वैज्ञानिकों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य हैै। पहले बैच में 17 देशों के 30 इंजीनियरों की टीम भाग ले रही है जिनका प्रशिक्षण यूआर राव उपग्रह केंद्र में शुरू हो गया। बाह्य अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग एवं खोज के लिए संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन की 50 वीं वर्षगांंठ (यूनिस्पेस 50 प्लस) के अवसर पर विएना में इसरो ने इस कार्यक्रम की घोषणा की थी।
इस कार्यक्रम का नाम उन्नति (यूनिस्पेस नैनो सैटेलाइट एसेंबलिंग एंड ट्रेनिंग बाय इसरो) दिया गया है। कार्यक्रम तहत अंतरिक्ष में रुचि रखने वाले सदस्य विकासशील देशों को उपग्रह प्रौद्योगिकी का सैद्धांतिक पाठ पढ़ाया जाएगा साथ ही उपग्रह फैब्रिकेशन प्रौद्योगिकी का प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।
नैनो उपग्रहों की डिजाइन तैयार करने, एसेंबलिंग, इंटीग्रेशन और परीक्षण का भी अवसर प्रतिभागियों को मिलेगा। कुल आठ सप्ताह के प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान 10-10 के समूह में प्रतिभागियों को बांटकर नैनो उपग्रहों के एसेंबलिंग, इंटीग्रेशन और परीक्षण का मौका दिया जाएगा। दूसरे बैच का प्रशिक्षण अक्टूबर 2019 और तीसरे बैच का प्रशिक्षण अक्टूबर 2020 में शुरू होगा।