scriptमहंगे डीजल से परिवहन निगम को 3 महीने में 183 करोड़ का घाटा : 18% तक बढ़ेगा बस किराया | bus travel may 18 costlier in comning days due high disel price | Patrika News

महंगे डीजल से परिवहन निगम को 3 महीने में 183 करोड़ का घाटा : 18% तक बढ़ेगा बस किराया

locationबैंगलोरPublished: Sep 05, 2018 07:27:08 pm

Submitted by:

Surendra Rajpurohit

परिवहन मंत्री ने दिए बस किराया बढ़ाने के संकेतनि: शुल्क बस पास के बारे में सप्ताह भर में निर्णय

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महंगे डीजल से परिवहन निगम को ३ महीने में 183 करोड़ का घाटा : 18% तक बढ़ेगा बस किराया

बेंगलूरु. राज्य के परिवहन मंत्री डी. सी. तमण्णा ने कहा कि डीजल व पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम (केएसआरटीसी) के लिए बस किराए में बढ़ोतरी आवश्यक हो गया है। दरों में बढ़ोतरी के संबंध में जल्द ही निर्णय किया जाएगा।
तमण्णा ने मंगलवार को कहा कि डीजल की कीमतें रोज बढ़ रही हैं। लिहाजा अब किराया बढ़ाने के अलावा हमारे पास कोई रास्ता नहीं बचा है। मुख्यमंत्री एच.डी. कुमारस्वामी के साथ चर्चा करके रूपरेखा तय की जाएगी।
उन्होंने कहा कि निगम ने तीन माह पहले ही 18 फीसदी बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया था, जो यह सरकार के पास विचाराधीन है। सभी परिवहन निगम पर पिछले तीन माह में 186 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ा है। मंत्री ने कहा कि यदि सरकार बस किराए में 18 फीसदी वृद्धि के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करती है तो इसमें संशोधन किया जाएगा। इस बात का ख्याल रखा जाएगा कि उपभोक्ताओं पर अधिक भार नहीं पड़े और परिवहन निगमों को भी घाटा नहीं हो।
मुफ्त बस पास पर भी निर्णय जल्द
तमण्णा ने कहा कि विद्यार्थियों को मुफ्त बस पास वितरित करने के संबंध में अगले एक सप्ताह में निर्णय किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस साल विद्यार्थियों ने पहले ही बस पास प्राप्त कर लिए हैं, लिहाजा उन ऐसे विद्यार्थियों के लिए निशुल्क बस पास की योजना अगले शैक्षणिक वर्ष से लागू होगी।
ईंधन की बढ़ती कीमतों के खिलाफ १४ को धरना देगी कांग्रेस
बेंगलूरु. उप मुख्यमंत्री डॉ. जी. परमेश्वर ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी को लेकर केन्द्र सरकार के खिलाफ १४ सितम्बर को धरना देगी। उन्होंने मंगलवार को संवाददाताओं से कहा कि नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद अभी तक २१ बार ईंधनों की कीमतें बढ़ी हैं। परमेश्वर ने कहा कि केन्द्र सरकार ईंधनों की बढ़ती कीमत को नियंत्रण में रखने में विफल रही है। आम नागरिकों को सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
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