उपकारागृह के विचाराधीन बंदियों को अदालत में पेश करना पड़ता है। बंदियों को एक जेल से दूसरी जेल में स्थानांतरित करने के दौरान समस्या पेश आती है। इसके अलावा आपात मौकों में इन्हें अस्पताल ले जाना पड़ता है।
कारागृह के एक अधिकारी का कहना है कि बंदियों को बाहर ले जाने पर उन्हें किसी प्रकार की समस्या अथवा खतरा पेश नहीं आना चाहिए, इस पर ध्यान देना चाहिए। इसके अलावा ये बंदी फरार नहीं हो पाएं इस पर भी सतर्कता बरतनी चाहिए। इसके लिए उचित सुरक्षा की जरूरत होती है। इस मुद्दे पर सीएआर आपात तौर पर प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है।
कारागृह की पुस्तिका के नियमों के अनुसार सुरक्षा होनी चाहिए। बीमारी जैसे आपात मौकों पर सुरक्षा नहीं होने पर यह बंदी की जान के लिए खतरा हो सकता है। इसके चलते विनती करते ही प्रतिक्रिया व्यक्त की गई तो सुविधा होगी।
वीवीआईपी के आने पर होती है समस्या
मैं कुछ समय सीएआर प्रभारी पुलिस उपायुक्त था। सुरक्षा समस्या के बारे में कोई शिकायत नहीं आई थी। आमतौर पर विनती करने के तुरन्त बाद कर्मचारियों को भेजा जाता है। बड़े मेलों व समारोहों में वीवीआईपी व्यक्तियों के आने के दौरान जरूर थोड़ी समस्या हो सकती है। समस्या होने पर संबंधित अधिकारी के ध्यान में ला सकते हैं।
बी.एस नेमगौड़ा, पुलिस उपायुक्त (अपराध एवं यातायात), हुब्बल्ली-धारवाड़ महानगर
दी जाती है सुरक्षा
बड़े पैमाने के बंदोबस्त होने पर ही कर्मचारियों को तुरंत भेजने में समस्या होती है। इसके अलावा दूसरे मौकों पर सुरक्षा उपलब्ध की जाती है। बीमार बंदियों को अस्पताल ले जाते समय किसी भी कारण देर किए बिना प्रतिक्रिया व्यक्त की जाती है। आखिरकार स्थानीय थाना पुलिसकर्मियों को तो भेजा जाता है। रविंद्र गडादी, पुलिस उपायुक्त (कानून एवं सुव्यवस्था), हुब्बल्ली-धारवाड़ महानगर
अस्पताल, न्यायालय तथा एक जेल से दूसरी जेल को स्थानांतरित करने के दौरान समय पर सीएआर कर्मियों को उपलब्ध करने पर सुविधा होगी। हुब्बल्ली के उपकारागृह में सप्ताह में एक बार किम्स अस्पताल चिकित्सक आकर स्वास्थ्य जांच करते हैं। छुटपुट बीमारी होने पर इलाज करते हैं। बीमारी अधिक होने पर खुद अस्पताल में भर्ती करने के निर्देश देते हैं। एच.ए. चौगुले, अधीक्षक, उपकारागृह हुब्बल्ली