scriptमस्तिष्क खोले बिना कैरोटिड कैवर्नस फिस्टुला का उपचार संभव | Carotid cavernous fistula can be treated without opening the skull | Patrika News

मस्तिष्क खोले बिना कैरोटिड कैवर्नस फिस्टुला का उपचार संभव

locationबैंगलोरPublished: Mar 01, 2021 12:14:36 am

Submitted by:

Nikhil Kumar

– हेलमेट पहन करें बचाव- विडियो जारी कर निम्हांस और यातायात पुलिस ने किया जागरूक

मस्तिष्क खोले बिना कैरोटिड कैवर्नस फिस्टुला का उपचार संभव

मस्तिष्क खोले बिना कैरोटिड कैवर्नस फिस्टुला का उपचार संभव

बेंगलूरु. सड़क दुर्घटनाओं की कम ज्ञात जटिलताओं में एक है संवहनी चोट (वैस्कुलर इंजरी)। इससे सिर और गर्दन की धमनियां या नसें भी प्रभावित हो सकती हैं। ऐसी ही चोटों में एक है कैरोटिड कैवर्नस फिस्टुला (सीसीएफ)। इसमें एक या दोनों, आंखें लाल हो जाती है और सूजन आ जाती है। समय पर उपचार नहीं हो तो यह अंधापन का कारण बन सकता है। मस्तिष्क को खोले बिना सीसीएफ का उपचार संभव है।

ये बातें राष्ट्रीय मानसिक आरोग्य व स्नायु विज्ञान संस्थान (Nimhans – निम्हांस) के निदेशक डॉ. जी. गुरुराज ने कही। वे शुक्रवार को निम्हांस व यातायात पुलिस विभाग की ओर से हेड इंजरी को लेकर जागरूकता विडियो जारी करने के बाद कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि सीसीएफ ( Carotid cavernous fistula – CCF) को लेकर चिकित्सकों में भी जागरूकता की कमी है। बीते एक दशक में निम्हांस (The National Institute of Mental Health and Neuro-Sciences) ने ऐसे करीब 150 मरीजों का उपचार किया है। दोपहिया वाहन चलाते समय हेलमेट या कार चलाते समय सीट बेल्ट (Helmet and Seat Belt) नियमों का पालन कर सीसीएफ से बचा जा सकता है।

1993 में पहली बार अनिवार्य किया हेलमेट
डॉ. गुरुराज ने कहा कि खराब वाहन, चलाने का गलत तरीका, नियमों का उल्लंघन और सड़क की स्थिति दुर्घटना के प्रमुख कारण हैं। कर्नाटक ने वर्ष 1993 में ही बेंगलूरु शहर में हेलमेट अनिवार्य किया था। लेकिन, इसके तीन वर्ष के बाद नियम को वापस ले लिया गया था। निम्हांस ने वर्ष 2004-05 के अपने अध्ययन में हेड इंजूरी (head injury) के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई थी। वर्ष 2006 के नवंबर में अनिवार्य हेलमेट नियम को सरकार ने फिर से लागू किया। बावजूद इसके हेलमेट नियमों की अनदेखी करने वाले लोगों की कमी नहीं है। नए मोटर वाहन अधिनियम में यातायात नियमों का उल्लंघन करने पर भारी जुर्माना लगाया गया है। हेलमेट कई चोटों और नि:शक्तता से बचा सकती है। जिंदगी बच सकती है।

इससे पहले मुख्य अतिथि व अपर पुलिस आयुक्त (यातायात) डॉ. बी. आर. रविकांत गौड़ा ने डॉ. गुरुराज के साथ विडियो जारी कर लोगों से यातायात नियमों का सख्ती से पालन करने की अपील की।

हेलमेट पहनना महज औपचारिकता नहीं
गौड़ा ने कहा कि सिनेमा हॉलों में भी इस विडियों को प्रदर्शित किया जाएगा। सड़क दुर्घना से बचना बेहद जरूरी है। हेलमेट पहनना महज औपचारिकता नहीं है। सिर्फ पुलिस से बचने के लिए कई लोग हेलमेट पहनते हैं। हेलमेट की गुणवत्ता सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है। हेलमेट के नाम पर टोपीनुमा हेलमेट पहन जीवन से खिलवाड़ नहीं करें।

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