बैंगलोर

टोल गेट पर नकदी में भुगतान में गिरावट नहीं

राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल शुल्क के भुगतान को फास्टैग व्यवस्था अनिवार्य की गई है। फिर भी राज्य के अधिकतर वाहन चालक अभी भी नगदी में ही भुगतान कर रहे हैं। फास्टैग व्यवस्था के पश्चात टोल प्लाजा पर नगदी में भुगतान के लिए केवल एक गेट हैं। इसलिए कतारों का झंझट अभी खत्म नहीं हुआ है। अन्य सभी में फास्टैग युक्त वाहनों की आवाजाही हो रही है, जिनमें कतारें नहीं दिखतीं।

बैंगलोरJan 24, 2020 / 08:04 pm

Sanjay Kulkarni

टोल गेट पर नकदी में भुगतान में गिरावट नहीं

बेंगलूरु. राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल शुल्क के भुगतान को फास्टैग व्यवस्था अनिवार्य की गई है। फिर भी राज्य के अधिकतर वाहन चालक अभी भी नगदी में ही भुगतान कर रहे हैं। फास्टैग व्यवस्था के पश्चात टोल प्लाजा पर नगदी में भुगतान के लिए केवल एक गेट हैं। इसलिए कतारों का झंझट अभी खत्म नहीं हुआ है। अन्य सभी में फास्टैग युक्त वाहनों की आवाजाही हो रही है, जिनमें कतारें नहीं दिखतीं।
सूत्रों के अनुसार राज्य के 36 टोल प्लाजा में प्रति दिन लगभग 5 करोड़ रुपए शुल्क संग्रहित हो रहा है। फास्टैग स्टिकर नहीं लगाने वाले वाहनों से जुर्माना सहित शुल्क लिया जाने लगा है। फिर भी व्यवस्था में अपेक्षित बदलाव नहीं दिखता। अभी भी 50 फीसदी से अधिक शुल्क भुगतान नगदी में ही किया जा रहा है।
राज्य के विभिन्न टोल प्लाजा पर पर 10 जनवरी से लेकर 17 जनवरी तक 35 करोड़ 35 लाख रुपए का शुल्क संग्रहित हुआ, इसमें से 20 करोड़ 3 लाख रुपए नगदी और 15 करोड़ 32 लाख रुपए फास्टैग के माध्यम से वसूले गए।
विशेष अनुमति
बेंगलूरु शहर के आस-पास स्थित टोल प्लाजा में पर्याप्त संख्या में फास्टैग नहीं होने से यहां पर नगदी में भुगतान की विशेष अनुमति दी गई है। सादहल्ली, इलेक्ट्रॉनिक सिटी, होसकोटे, अत्तिबेले, बेल्लूर तथा नेलमंगला टोल प्लाजा में 25 फीसदी गेट पर नगदी में शुल्क भुगतान स्वीकार किया जा रहा है।
अधिकारियों का दावा है कि भारी वाहनों का टोल शुल्क अधिक है, ऐसे अधिकांश वाहनों के चालक नगदी में भुगतान कर रहे हैं। यह भी एक वजह है कि फास्टैग की अपेक्षा नगदी शुल्क के आंकड़े ज्यादा हैं। वाहन चालकों को धीरे-धीरे फास्टैग की व्यवस्था पसंद आ रही है। मांग के अनुपात में फास्टैग स्टिकर उपलब्धता सुनिश्चित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
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