मुख्यमंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने शनिवार को यहां कहा कि राज्य सरकार को कावेरी प्रबंधन बोर्ड तथा कावेरी जल नियामक समिति किसी का गठन मंजूर नहीं है। पहले इनके गठन के दिशा-निर्देशों की सभी त्रुटियों को दूर करना आवश्यक है। राज्य सरकार ने इन त्रुटियों को लेकर केंद्र को अपनी चिंताओं से अवगत कराया था लेकिन केंद्र ने इसका समाधान करने से पहले ही बोर्ड का गठन कर राज्य के साथ अन्याय किया है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ पिछले दिनों हुई बैठक में उन्होंने इस मामले में लोकसभा में विस्तृत बहस की मांग की थी। लेकिन इस मांग पर ध्यान नहीं दिया गया जो कि उचित नहीं है। समिति के गठन से कर्नाटक के हितों को धक्का पहुंचा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कावेरी प्रबंधन बोर्ड तथा कावेरी जल नियामक समिति का गठन शीर्ष अदालत के फैसले के तहत होने के कारण अब इसमें कोई बदलाव संभावना नहीं है लेकिन इसके बावजूद राज्य सरकार हर संभव कानूनी विकल्प को टटोलेगी। इस बारे में वे रविवार को राज्य के महाधिवक्ता से भी बातचीत करेंगे। उन्होंने बताया कि हाल में केंद्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी ने भी राज्य की चिंताओं को लेकर दोबारा बैठक करने का आश्वासन दिया है। वे इस संबंध में जल्दी ही केंद्र सरकार को पत्र भी लिखेंगे।
राज्य नहीं चाहता नई व्यवस्था केंद्र सरकार ने शुक्रवार को शीर्ष अदालत के निर्देश पर कावेरी प्रबंधन योजना के तहत कावेरी जल नियामक समिति के गठन की अधिसूचना जारी कर दी है। इसमें कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल तथा पुदुचेरी के प्रतिनिधि हैं। अन्य तीन राज्यों ने बोर्ड के लिए अपने सदस्यों के नाम दिए लेकिन कर्नाटक सरकार ने नाम नहीं भेजे थे। कावेरी जल नियामक समिति के सहयोग से कावेरी जलबहाव क्षेत्र के बांधों के जलभंडारों का नियंत्रण तथा वितरण किया जाएगा। मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने प्रस्तावित जल बंटवारे की तकनीकी समस्याओं के आधार पर ही इसके गठन का विरोध किया है। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया है कि कर्नाटक हर हाल में कानून का पालन करेगा लेकिन उनके संयम को कमजोरी नहीं माना जाए।