एक-दूसरे से जुड़े हैं दाभोलकर और गौरी हत्याकांड के तार
बैंगलोरPublished: Aug 26, 2018 09:18:15 pm
सीबीआइ का दावासचिन के पास बरामद हथियार का हुआ था इस्तेमाल
एक-दूसरे से जुड़े हैं दाभोलकर और गौरी हत्याकांड के तार
बेंगलूरु. केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) का दावा है कि पुणे के तर्कवादी डॉ. नरेंद्र दाभोलकर और बेंगलूरु की पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्ता गौरी लंकेश की हत्या के मामले के तार एक-दूसरे से जुड़े हैं।
सीबीआइ ने पुणे के शिवाजी नगर न्यायिक दंडाधिकारी अदालत को रविवार को जानकारी दी कि उसने दाभोलकर और गौरी के हत्या के मामले की आपसी कड़ी जोड़ लिए हैं। रविवार को दाभोलकर हत्याकांड मेंं गिरफ्तार सचिन आंदुरे की पेशी के दौरान जांच एजेंसी ने अदालत को बताया कि उसके पास से बरामद हथियार का इस्तेमाल गौरी की हत्या के लिए भी किया गया था। साथ ही सचिन का गौरी की हत्या में शामिल आरोपियों से भी संबंध रहा है। सचिन को महाराष्ट्र के आंतकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने १९ अगस्त को औरंगाबाद से गिरफ्तार किया था और बाद में उसे दाभोलकर मामले की जांच कर रही सीबीआइ को सौंप दिया गया था।
अदालत में पेश की गई रिमांड अर्जी में सीबीआइ ने कहा कि पूछताछ के दौरान सचिन ने इस बात का खुलासा किया कि गौरी हत्याकांड में शामिल रहे एक आरोपी ने उसे ७.६५ एमएम की देशी पिस्तौल और तीन गोलियां दी थीं। बाद में उसने इसे शुभम सुर्ले को दिया था। सुर्ले ने रोहित रेेगे को यह सामग्री दे दी लेकिन अभी इसका मकसद साफ नहीं है। सचिन का नाम मुंबई के नालासोपारा से एक अन्य मामले में गिरफ्तार शरद कलासकर ने पूछताछ के दौरान लिया था।
सीबीआइ की ओर से पेश हुए विशेष लोक अभियोजक ने अदालत से कहा कि कलासकर अभी नालासोपारा विस्फोटक बरामदगी मामले में एटीएस की हिरासत में है। सीबीआइ उसे रिमांड पर लेगी क्योंकि कलासकर और सचिन से एक साथ पूछताछ किए जाने की आवश्यकता है।
गौरतलब है कि डॉ. दाभोलकर (६७) की हत्या दो अज्ञात मोटरसाइकिल सवारों ने पुणे के ओंकारेश्वर मंदिर के पास २० जून २०१३ को गोली मारकर कर दी थी जबकि गौरी (५५) की हत्या पिछले साल ७ सितम्बर की शाम उनके घर के सामने ही अज्ञात बाइक सवार अपराधियों ने गोली मारकर कर दी थी। दोनों ही मामलों में दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं व सनातन संस्था से जुड़े लोगों के नाम आते रहे हैं। हालांकि, सीबीआइ ने रिमांड अर्जी में किसी संगठन के नाम का जिक्र नहीं किया है, लेकिन कहा है कि गौरी हत्याकांड के कुछ आरोपी सचिन और डॉ. दाभोलकर हत्याकांड से जुड़े हैं। सीबीआइ की अर्जी पर प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत ने सचिन की रिमांड अवधि ३० अगस्त तक के लिए बढ़ा दी।
सूत्रों का कहना है कि सचिन और कलासकर ने ही डॉ. दाभोलकर को गोली मारी थी। महाराष्ट्र एटीएस की रिमांड खत्म होने के बाद सीबीआइ कलासकर को रिमांड पर लेने की तैयारी कर रही है। इसके साथ ही सीबीआइ गौरी मामले में कर्नाटक पुलिस की एसआइटी द्वारा गिरफ्तार एक आरोपी को भी रिमांड पर लेगी। सीबीआइ वारदात में इस्तेमाल की गई मोटरसाइकिलको तलाशने में जुटी है।
गौरी हत्याकांड की जांच कर रही कर्नाटक पुलिस के विशेष जांच दल (एसआइटी) ने पिछले छह महीने के दौरान दर्जन लोगों को हिरासत में लिया है और इनमें से अधिकांश गिरफ्तारी पिछले दो महीने के दौरान हुई है, लेकिन अब भी मामले की गुत्थी पूरी तरह सुलझी नहीं है। एसआइटी ना तो अभी तक वारदात में इस्तेमाल हथियार बरामद कर पाई है और ना ही वाहन। मामले के कुछ आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस राज्य के विभिन्न हिस्सों के साथ ही महाराष्ट्र में भी लगातार दबिश दे रही है।
गौरी मामले में एसआइटी पुणे निवासी अमोल काले को भी गिरफ्तार कर चुकी है और पूछताछ के दौरान उसने औरंगाबाद और जालना जाने की बात बताई थी, इस कारण जांच अधिकारियों का मानना है कि वह दाभोलकर मामले के कुछ आरोपियों से भी मिला हो सकता है। एसआइटी की टीम पहले ही सचिन व महाराष्ट्र एटीएस द्वारा गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ के लिए मुंबई पहुंच चुकी है। एसआइटी इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रही है कि सचिन के पास से बरामद पिस्तौल और गौरी की हत्या के बाद मौके से मिले खोखे का मिलान होता है अथवा नहीं।
गौरतलब है कि इससे पहले भी डॉ. दाभोलेकर, गोविंद पंसारे, प्रो. एमएम कलबुर्गी और गौरी लंकेश की हत्या के वारदात को समान तरीके से अंजाम देने के तरीके को लेकर भी जांच हो चुकी है। इनमें से कुछ मामलों में एक ही तरह के हथियार के उपयोग की बात भी सामने आई थी।