हाइ कोर्ट में जस्टिस जॉन माइकल कुन्हा की पीठ ने सचिन नारायण और वेलवर्थ सॉफ्टवेयर प्रालि की ओर से दायर याचिका को स्वीकार करते हुए कहा कि प्रथम दृष्ट्या ऐसा कोई भी सबूत नहीं है जिससे यह पता चले कि जब्त की गई राशि का आय से अधिक संपत्ति के साथ कोई ताल्लुक है।
याचिकाकर्ता जब्त की गई राशि के अंतरिम कस्टडी के हकदार हैं। सचिन नारायण और कंपनी ने जब्त राशि पर अपना दावा पेश करते हुए कहा कि सीबीआइ की जांच का इस राशि से कोई लेना-देना नहीं है।
वहीं, सीबीआइ ने कहा कि सचिन नारायण जिस कंपनी को चला रहे हैं उसमें डीके शिवकुमार की पत्नी कारोबारी साझीदार हैं जो कि मामले के आरोपी हैं। जब्त की गई राशि को लेकर जांच चल रही है। इसलिए याचिकाकर्ता जब्त राशि के हकदार नहीं हैं। हालांकि, तमाम पहलुओं की जांच के बाद पीठ ने माना कि यह साबित करने के लिए कोई प्रथम दृष्ट्या सबूत नहीं है।
कि जब्त नगदी का संबंध किसी तरह डीके शिवकुमार अथवा उनकी पत्नी के खिलाफ चल रही जांच से है।