उन्होंने अधिकार ग्रहण करने के बाद जुड़वां शहर के सुव्यवस्थित विकास के लिए पहले सीडीपी को अंतिम कर सरकार से मंजूरी पाने को प्रथम प्राथमिकता देने का वादा किया था। इसी प्रकार कार्य किया परन्तु मंजूरी प्राप्त नहीं कर सके। इतने में 20 माह का कार्यकाल पूरा हो गया और अनवर मुधोल अध्यक्ष बने। उन्होंने भी सीडीपी को प्रथम प्राथमिकता देने की बात कही थी। इसके हिसाब से कार्य भी किया। सीडीपी नक्शे को तैयार करवाकर सार्वजनिक तौर पर प्रकाशित कर आपत्तियों को स्वीकार किया। 1400 से अधिक लोगों ने लिखित तौर पर आपत्तिां सौंपी थी। इन सबकी समीक्षा की गई है।
हुडा की बैठक में एक बार फिर से सीडीपी के बारे में चर्चा कर अंतिम तौर पर सरकार को सौंप कर मंजूरी प्राप्त करने का कार्य बाकी है परन्तु धारवाड़ जिले के जनप्रतिनिधियों को इसके लिए समय नहीं है। सभी की राय प्राप्त कर सीडीपी को अंतिम करने की इच्छा शक्ति जिला प्रभारी मंत्री को भी नहीं है। इसी कारण सीडीपी वर्षों से यहीं के चक्कर लगा रही है।
कांग्रेस की सरकार में हुब्बल्ली-धारवाड़ महानगर विकास प्राधिकरण के लिए अध्यक्ष बन करआए दोनों अध्यक्षों का प्रमुख लक्ष्य सीडीपी को लागू करना था परन्तु अब तक इसे मंजूरी पाना सम्भव नहीं हो सका है। इससे जनता में उदासीनता छाई हुई है। वर्ष 2013 में सीडीपी को तैयार किया गया था। सूत्रों के अनुसार हर दस वर्ष में एक बार सीडीपी का पुनर गठन होना चाहिए।
हुब्बल्ली-धारवाड़ महानगर की जनता का आरोप है कि इसके तहत वर्ष 2013 में तत्कालीन भाजपा सरकार के सीडीपी का गठन करने तक उनका कार्यकाल समाप्त हो गया था। वर्ष 2014 में सत्ता में आई कांग्रेस सरकार को शहर के व्यवस्थित विकास पर जोर देते हुए सीडीपी के महत्व को समझकर पूरा करना चाहिए था परन्तु यह कार्य नहीं हुआ।
मार्च तक मिलेगी मंजूरी
&65 गांवों को शामिल कर 22 हजार हेक्टर क्षेत्र के योजना क्षेत्र की नई सीडीपी को अंतिम करने के लिए कई बैठकें की गईं। जनता की आपत्तियों को सुना गया है। अब सीडीपी को अंतिम रूप मिला है। एक बार फिर हुडा की बैठक बुलाकर अंतिम मंजूरी के लिए सरकार को भेजा जाएगा। मार्च तक सरकार से मंजूरी मिलेगी।
अनवर मुधोल, अध्यक्ष, हुब्बल्ली-धारवाड़ शहरी विकास प्राधिकरण