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जनजातीय आबादी पर जनगणना रिपोर्ट अंतिम चरण में

locationबैंगलोरPublished: Nov 29, 2018 08:49:14 pm

Submitted by:

Rajendra Vyas

समुदाय विशिष्ट सशक्तिकरण योजनाओं को लागू करने में मददगार होगा सामाजिक-आर्थिक जनगणना अध्ययन

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जनजातीय आबादी पर जनगणना रिपोर्ट अंतिम चरण में

बेंगलूरु. कर्नाटक राज्य जनजातीय अनुसंधान संस्थान के निदेशक प्रोफेसर टी टी बसवनगौड़ा ने कहा कि राज्य में जनजातीय आबादी पर जनगणना रिपोर्ट लगभग अंतिम चरण तक पहुंच गई है और इसे जल्द ही सरकार को सौंप दिया जाएगा।
प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थान (एटीआई) में बुधवार को राज्य के कमजोर जनजातीय समूह माने जाने वाले जेनुकुरूबा और कोरगा की प्रथाओं, मान्यताओं और जीविकाओं पर क्षेत्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य सरकार वन क्षेत्रों में निवास करने वाली कमजोर जनजातीय समूहों की सामाजिक-आर्थिक जनगणना कर रही है।
उन्होंने कहा कि राज्य में 75 से ज्यादा प्रकार के जनजातीय समूह हैं। कोरगा जैसे कमजोर जनजातीय समूह दक्षिण कन्नड़ और उडुपी जिलों में बड़ी संख्या में बस गए हैं, जबकि जेनुकुरुबा की आबादी मैसूरु, चामराजनगर और कोडुगू जिलों के वन क्षेत्रों में है। कमजोर आदिवासी समूहों के सामाजिक-आर्थिक जनगणना अध्ययन से सरकार को समुदाय विशिष्ट सशक्तिकरण योजनाओं और कार्यक्रमों को लागू करने में मदद मिलेगी।

कर्नाटक विश्वविद्यालय धारवाड़ के मानव विज्ञान विभाग के प्रो. सीजी हुसैन खान ने कहा कि यह बेहद अफसोसजनक है कि जनजातियों के कल्याण के लिए केंद्र और राज्य में लगातार सरकारों द्वारा दिए गए लाभ लक्षित जनजातीय समुदाय तक नहीं पहुंच रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश की कुल आबादी में 8 प्रतिशत जनजातीय हैं। भारत दुनिया में जनजातीय आबादी वाला दूसरा सबसे बड़ा देश है। देश में 705 प्रकार के जनजातीय निवास करते हैं।

उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा जनजातीय कल्याण के लिए जो योजनाएं चलाई जा रही हैं उसका लाभ मुख्य रूप से शहरी सीमाओं के पास रहने वाले आदिवासियों को मिल रहा है न कि जंगलों में रहने वाले जेनुकुरूबा और कोरगा जैसे समुदाय इससे पूरी तरह से लाभान्वित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकारों द्वारा पंचवर्षीय योजना के तहत जनजातीयों के कल्याण के लिए कई कार्यक्रम क्रियान्वित किए गए हैं लेकिन आजादी के बाद से अब तक इन जनजातीय समूहों के जीवन में कोई बड़ा बदलाव नहीं आ सका है। इसलिए, उन्होंने सरकार को कमजोर जनजातीय समूहों के सशक्तिकरण के लिए एक केंद्रीकृत और विशिष्ट लक्षित जनजातीय कल्याण कार्यक्रम शुरू करने का सुझाव दिया।
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