कर्नाटक विश्वविद्यालय धारवाड़ के मानव विज्ञान विभाग के प्रो. सीजी हुसैन खान ने कहा कि यह बेहद अफसोसजनक है कि जनजातियों के कल्याण के लिए केंद्र और राज्य में लगातार सरकारों द्वारा दिए गए लाभ लक्षित जनजातीय समुदाय तक नहीं पहुंच रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश की कुल आबादी में 8 प्रतिशत जनजातीय हैं। भारत दुनिया में जनजातीय आबादी वाला दूसरा सबसे बड़ा देश है। देश में 705 प्रकार के जनजातीय निवास करते हैं।
उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा जनजातीय कल्याण के लिए जो योजनाएं चलाई जा रही हैं उसका लाभ मुख्य रूप से शहरी सीमाओं के पास रहने वाले आदिवासियों को मिल रहा है न कि जंगलों में रहने वाले जेनुकुरूबा और कोरगा जैसे समुदाय इससे पूरी तरह से लाभान्वित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकारों द्वारा पंचवर्षीय योजना के तहत जनजातीयों के कल्याण के लिए कई कार्यक्रम क्रियान्वित किए गए हैं लेकिन आजादी के बाद से अब तक इन जनजातीय समूहों के जीवन में कोई बड़ा बदलाव नहीं आ सका है। इसलिए, उन्होंने सरकार को कमजोर जनजातीय समूहों के सशक्तिकरण के लिए एक केंद्रीकृत और विशिष्ट लक्षित जनजातीय कल्याण कार्यक्रम शुरू करने का सुझाव दिया।